खोलना चाहते हैं शराब का ठेका? कितनी करनी पड़ेगी जेब ढीली और क्या है पूरा प्रोसेस, समझें सबकुछ

punjabkesari.in Wednesday, Nov 26, 2025 - 08:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क : अक्सर यह माना जाता है कि शराब का कारोबार अत्यधिक मुनाफे वाला होता है और शराब की दुकान या ‘ठेका’ खुलते ही कमाई अपने आप बढ़ने लगती है। हालांकि, वास्तविकता इससे काफी अलग है। शराब की दुकान खोलना न तो आसान काम है और न ही केवल पैसे के बल पर यह किया जा सकता है। इस व्यवसाय में प्रवेश करने के लिए सरकार की सख्त शर्तों, कानूनी प्रक्रियाओं और भारी निवेश से होकर गुजरना पड़ता है, जो इसे एक चुनौतीपूर्ण कारोबार बना देता है।

लॉटरी सिस्टम से होती है एंट्री
लॉटरी सिस्टम से दुकान खोलने का रास्ता शुरू होता है। आम धारणा के विपरीत, कोई भी व्यक्ति सीधे दफ्तर जाकर पैसे जमा कर दुकान का लाइसेंस नहीं ले सकता। शराब की दुकानों के आवंटन के लिए आबकारी विभाग हर साल ई-लॉटरी सिस्टम अपनाता है। इच्छुक आवेदक को विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होता है। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें अनिवार्य हैं। आवेदक की उम्र कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए और उसके खिलाफ कोई गंभीर आपराधिक मामला दर्ज नहीं होना चाहिए। कई राज्यों में लाइसेंस आवंटन नीलामी के माध्यम से भी किया जाता है, जहां अधिक बोली लगाने वाले को दुकान का लाइसेंस मिलता है।

15-20 लाख का चाहिए बजट
इस व्यवसाय में कदम रखने से पहले जेब में 15 से 20 लाख रुपये का बजट जरुरी होता है। खर्च दो हिस्सों में बंटता है सरकारी फीस और सेटअप खर्च। लाइसेंस शुल्क दुकान की श्रेणी पर निर्भर करता है। केवल बीयर या अंग्रेजी शराब की रिटेल दुकान के लाइसेंस के लिए करीब 1,50,000 रुपये का भुगतान करना पड़ता है, जबकि ‘परमिट रूम’ के लाइसेंस के लिए यह राशि लगभग 5,44,000 रुपये तक हो सकती है। इसके अलावा, दुकान के लिए उपयुक्त जगह, बिजली-पानी का खर्च, कर्मचारियों का वेतन और शराब के शुरुआती स्टॉक के लिए बड़ा निवेश आवश्यक होता है। इस तरह कुल मिलाकर 15 से 20 लाख रुपये तक की लागत आती है।

लाइसेंस मिलने के बाद असली काम शुरू
लाइसेंस मिलने के बाद ही असली परीक्षा शुरू होती है। शराब का कारोबार सरकार की कड़ी निगरानी में चलता है और लाइसेंस धारक को कई नियमों का पालन करना होता है। सबसे कड़ा नियम यह है कि 18 साल से कम उम्र के किसी व्यक्ति को शराब बेचना कानूनन अपराध है। इसके अलावा, दुकान खोलने और बंद करने का समय जिला प्रशासन तय करता है और दुकानदार अपनी इच्छा से समय में बदलाव नहीं कर सकता। सरकार एमआरपी को लेकर भी बेहद सख्त है, और तय कीमत से एक रुपया भी ज्यादा वसूलने पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। इस तरह यह कारोबार अनुशासन की मांग करता है।

रिन्यूअल बेहद जरूरी
शराब के लाइसेंस की एक बड़ी शर्त यह है कि इसकी वैधता आजीवन नहीं होती। यह केवल एक वित्तीय वर्ष के लिए मान्य होता है। अवधि पूरी होते ही लाइसेंस के नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। यदि समय पर रिन्यूअल नहीं कराया गया तो चालू कारोबार भी अचानक रुक सकता है और फिर से पूरी लॉटरी और आवेदन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसलिए यह व्यवसाय हर साल अपनी पात्रता साबित करने की मांग करता है।


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Content Editor

Shubham Anand

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