प्याज खरीद मामला, तथ्यों को छिपा रही दिल्ली सरकार!

punjabkesari.in Monday, Sep 21, 2015 - 06:17 PM (IST)

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार का प्याज खरीद में कथित घपले का मामला भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) के कार्यालय पहुंच गया है। सूचना के अधिकार के तहत इस मामले का खुलासा करने वाले कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने एसीबी में अपनी शिकायत दर्ज कराते हुए प्याज खरीद के दिल्ली सरकार के दावे की जांच की मांग की है। गर्ग का आरोप है कि दिल्ली सरकार तथ्यों को छिपा रही है।

उनका कहना है कि सरकार ने जब मई में प्याज खरीदने का फैसला किया तो इसके लिए निविदा जारी क्यों नहीं की गई। उन्होंने कहा कि स्माल फार्मर एग्री कारोबार समूह(एसएफएसी) से महंगे भावों में प्याज क्यों खरीदा गया जबकि नेफेड भी सरकार को सस्ता प्याज देने के लिए तैयार था। 
 
उन्होंने कहा कि प्याज खरीद में जो कथित घोटाला नजर आ रहा है उसकी जांच जरूरी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने पहले पांच हजार टन प्याज खरीद का आर्डर दिया लेकिन फिर उसे घटाकर लगभग आधा कर दिया गया। प्याज के दाम आसमान में पहुंचने के बावजूद इस मात्रा में से भी दो सितंबर तक केवल 575 टन प्याज बाजार में लाया गया। इससे जमाखोरों को हर स्तर पर मौका मिला। उन्होंने कहा कि दिल्ली में रोजाना एक हजार से 1500 टन प्याज की जरूरत है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसकी जांच क्यों नहीं करानी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने प्याज खरीद के इस कथित घोटाले को लेकर आवाज उठाई है। 
 
भाजपा कहना है कि सच्चाई सामने लाने के लिए इस पूरे मामले की निष्पक्ष एजेंसी से जांच करानी चाहिए। दिल्ली के पूर्व खाद्य मंत्री हारून युसूफ ने कहा है कि प्याज खरीद की प्रक्रिया को लेकर शक पैदा होता है। उन्होंने कहा कि मई में प्याज केवल छह रुपये प्रति किलो थी। दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने कहा कि हजारों टन प्याज का स्टाक कर लिया गया है और जिस तरीके से प्याज खरीदने का काम चला उससे भाव 33 रुपए प्रति किलो हो गए। सरकार यदि कर्नाटक और तमिलनाडु से प्याज खरीदती तो यह 24-25 रुपए किलो ही पड़ता। 
अब सरकार जिस तरीके से अपनी सफाई में पूरे-पूरे पेज का विज्ञापन दे रही है इससे शंका उठना स्वाभाविक है। सरकार ने आज कई मुख्य समाचार पत्रों में पूरे पूरे पेज के विज्ञापन देते हुए प्याज खरीद के संबंध में खबर दिखाने वाले एक समाचार चैनल को लपेटा है। 

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