ग्रहों की अनुकूलता से ही सफल होते हैं कर्म

punjabkesari.in Saturday, Nov 21, 2015 - 04:29 PM (IST)

ग्रह बाधा निवारण के विभिन्न शास्त्रीय उपाय : ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति की जन्म कुंडली में आने वाले रोग, शोक एवं कष्टों की पूर्व सूचना देते हैं। इस आधार पर व्यक्ति आने वाले कष्टों के प्रति पहले से सचेत रहते हुए यथासंभव बचने या उन्हें कम करने का उपाय कर सकता है।
 
सूर्यादि ग्रहों की प्रतिकूल एवं रोग शोक कारक स्थिति में मनुष्य चेष्टापूर्वक संबंधित ग्रहों के रत्न, वनस्पति या यंत्रादि धारण करके तथा संबंधित ग्रह के विधि-विधान से मंत्र, जप, दान, व्रत, पूजा-पाठ, औषधि के द्वारा ग्रहों को प्रसन्न कर मनोनुकूल आरोग्यता और दीर्घायु को प्राप्त कर सकता है।
 
ग्रहों को अनुकूल करके मनुष्य जो भी कर्म करता है, वे सभी कर्म सफल होते हैं। ग्रहों की प्रतिकूलता में किए गए सभी कर्म निष्फल हो जाते हैं क्योंकि हानि और लाभ ग्रहों के ही अधीन हैं। अत: ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त करना परमावश्यक है।
 

गोचर में अथवा जन्म कुंडली में जो ग्रह अनिष्टकारक हों उनको प्रसन्न करने का प्रयत्न करना चाहिए। प्रसन्न होकर वे ग्रह शुभफलप्रद हो जाते हैं। सूर्यादि सभी ग्रहों की प्रसन्नता एवं अनुकूलता प्राप्ति के लिए शास्त्रों में रत्न, यंत्र धारण, मंत्र जाप, व्रत दान तथा औषधि स्नान का विधान बताया गया है। 


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