शुक्र के सिंह राशि में आने से राशिनुसार जानें आप पर पड़ने वाले प्रभाव

punjabkesari.in Friday, Oct 02, 2015 - 01:56 PM (IST)

वृष व तुला राशियों के स्वामी दैत्याचार्य शुक्रदेव सौंदर्य, सांसारिक सुख, वैभव, ऐश्वर्य, भोग-विलासिता व प्रसिद्धि के ग्रह माने गए हैं। ज्योतिषशास्त्र में शुक्रदेव को जीवनसाथी, प्रेम, विवाह, विलासिता, समृद्धि, सुख, सभी वाहनों, कला, नृत्य, संगीत, अभिनय, जुनून और काम का प्रतीक माना गया है। वैदिक ज्योतिष की महूर्त प्रणाली के पंचांग खंड अनुसार शुक्रदेव गुरुवार दिनांक 13.08.15 को शाम 05 बजकर 12 मिनट पर अपनी शत्रु राशि सिंह राशि से निकालकर अपनी उल्टी चल से चंद्रमा की राशि कर्क में प्रवेश कर गए थे। शुक्र कर्क राशि में पुनः रविवार दिनांक 06.09.15 को सक्रिय होकर आगे बढ़े तथा अपनी सक्रिय चाल से आगे बढ़ते हुए दैत्याचार्य शुक्रदेव ने गुरुवार दिनांक 01.10.15 को कर्क राशि त्यागकर अपनी शत्रु राशि सिंह में प्रवेश किया। शुक्रदेव सिंह राशि में अपने परम शत्रु मंगल और देवगुरु बृहस्पति से मिलन हो गया है। जिसके कारण चराचर जगत में हलचल मचने के योग हैं। 

शुक्र, मंगल और गुरु की सिंह राशि में युति किसी भी रूप से सकारात्मक नहीं मानी जा सकती। शुक्र को स्त्री कारक ग्रह भी माना जाता है। लिहाजा शुक्र ग्रह का यह राशि परिवर्तन महिलाओं के लिए शुभ संकेत नहीं दे रहा है। देश भर में महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाएं बढ़ सकती हैं। वहीं, फिल्म और कला जगत की बात करें तो यहां भी परिस्थितियां सकारात्मक नहीं लग रही हैं। शुक्र के इस राशि परिवर्तन से सोने-चांदी के भावों में भरी गिरावट आएगी। तथा खाद्य पदार्थ को लेकर महंगाई बढ़ सकती है। ज़मीन-जायदाद के मूल्यों में भी गिरावट आने के योग हैं। किसी हवाई या रेल दुर्घटना का भी योग बनेगा। कालपुरुष सिद्धांत के अनुसार शुक्र के पंचम राशि सिंह में आने से जनमानस में मानसिक अशांति व मानसिक रूप से उतार-चढ़ाव की स्थिति रहेगी। लोगों का बजट गड़बड़ाएगा व भौतिक सुख साधनों पर खर्च बढ़ेगा। परिवार में आपसी मतभेद और मनमुटाव होंगे। शुक्र ग्रह का यह राशि परिवर्तन द्वादश राशियों के लिए कैसा रहेगा आइए जानते हैं-

मेष: पंचम में शुक्र के गोचर से प्रेमियों के लिए सफलता के द्वार खुलेंगे। प्रेम संबंध विवाह में परिवर्तित हो सकता है। सोच सकारात्मक रहेगी। आय में वृद्धि संभावित है। कार्य-व्यापार में अत्यंत लाभ के योग हैं।

वृष: चतुर्थ में शुक्र के गोचर से माता को रोग विकार सता सकते हैं। सुविधाओं की प्राप्ति होगी। जायदाद संबंधित डील होने के योग हैं। नए वाहन के खरीदने के योग हैं। सरकारी कार्यो में सफलता मिल सकती है।

मिथुन: तृतीय में शुक्र के गोचर से भाई-बहनों से संबंध सुधरेंगे। प्रियजन से मुलाकात होगी। भाग्य अत्यधिक साथ देगा। धन संबंधित समय मध्यम है। समस्याओं का समाधान पराक्रम के बल होने के आसार हैं।

कर्क: द्वित्य में शुक्र के गोचर से आय वृद्धि होगी। वाणी व वाक्पटुता से हर काम को निपटने में समर्थ रहेंगे। कार्य-व्यापार हेतु उपयुक्त समय है। शिक्षा, नौकरी, सामाजिक व राजनैतिक कार्यों में सफलता मिलेगी।

सिंह: लग्न में शुक्र के गोचर से सुख का अनुभव होगा। जीवन साथी से प्रेम बढ़ेगा। शुक्र-मंगल की युति से अति व्यसन के साथ कामुकता चरम पर रहेगी। नीजी व पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी। भाग्य साथ देगा।  

कन्या: द्वादश में शुक्र के गोचर से व्यक्तिगत खुशी बढ़ेगी। मौज मस्ती पर धन खर्च होगा। स्वास्थ्य बिगड़ने के योग हैं। रिश्तेदारों का सहयोग प्राप्त होगा। नियमित कार्यों से ध्यान भटकेगा। शत्रु परास्त होंगे।

तुला: एकादश में शुक्र के गोचर से आय में वृद्धि होगी। कार्य-व्यापार में नए अवसर मिलेंगे। पार्टनर से प्रेम में प्रगाढ़ता आएगी। अविवाहितों को पार्टनर मिलने के योग हैं। संतान पक्ष हेतु समय ज्यादा अच्छा नहीं है।

वृश्चिक: दशम में शुक्र के गोचर से राजयोग का सृजन हो रहा हैं। पराक्रम में वृद्धि होगी। उच्च वर्ग व विपरीत लिंग से सहयोग मिलेगा। प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी। शुभ कार्य संपन्न होंगे।

धनु: नवम में शुक्र के गोचर से भाग्य में वृद्धि होगी। भाग्य के संयोग से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। प्रचुर मात्रा में धन आएगा। सुख का अनुभव करेंगे। संतान पक्ष प्रसन्नता देगा। स्टूडेंट्स को बड़ी सफलता मिलेगी।

मकर: अष्टम में शुक्र के गोचर से आय व सुख भंग के योग हैं। शारीरिक कष्ट के योग हैं। गुप्तांग में समस्या उत्पन्न होगी। पारिवारिक सुख में कमी आएगी। आय में कमी होगी। आर्थिक समस्या के योग बनते हैं।

कुंभ: सप्तम में शुक्र के गोचर से कार्य व्यापार में उन्नति होगी। सम्मान बढ़ेगा। उच्चवर्ग से सहयोग मिलेगा। व्यापार वृद्धि होगी। विपरीत लिंग के प्रति रुझान बढ़ेगा। कामेच्छा प्रबल रहेगी। विवाह के प्रबल योग हैं।

मीन: छठे में शुक्र के गोचर से भाग्य कमज़ोर होगा। भाग्य की अपेक्षा कर्म अधिक बलवान होगा। आय में बड़ी कमी आएगी। खर्च बहुत अधिक होगा। अनावश्यक खर्च होंगे। विलासिता व व्यसन संबंधित खर्च होंगे।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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