तेल-तिलहन बाजार में कारोबार का मिला जुला रुख

punjabkesari.in Thursday, Mar 02, 2023 - 07:22 PM (IST)

नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को कारोबार का मिला जुला रुख दिखाई दिया। एक ओर जहां सोयाबीन तिलहन कीमतों में गिरावट आई वहीं सरसों तेल तिलहन, सोयाबीन तेल, बिनौला, कच्चा पामतेल और पामोलीन तेल कीमतें बुधवार के बंद भाव के मुकाबले मामूली सुधार के साथ बंद हुई। मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर ही बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि जिन तेलों में सुधार भी है वो पहले से इतने टूटे हुए हैं कि जरा सा उनकी गिरावट में कमी होती है तो उसे सुधार माना जाता है। लेकिन वास्तविकता का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि सूरजमुखी तेल के बाद सरसों तेल तिलहन कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम बनी हुई हैं।
सस्ते आयातित तेलों ने इन तेलों की हालत पस्त कर रखी है और सूरजमुखी के शुल्कमुक्त आयात की छूट एक अप्रैल से समाप्त करने के बाद सरकार को देशी तेल तिलहनों को बाजार में खपाने के लिए आयातित सूरजमुखी और सोयाबीन तेलों पर आयात शुल्क को इतना बढ़ाना चाहिये कि हमारी देशी तेल तिलहनें बाजार में बिक सकें।

सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में 2.75 प्रतिशत की तेजी थी जबकि शिकागो एक्सचेंज में फिलहाल आधा प्रतिशत की गिरावट है।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन के डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग कमजोर होने से सोयाबीन तिलहन कीमतों में गिरावट देखने को मिली। दूसरा देश के सोयाबीन पेराई करने वाले मिलों का तेल, सस्ते आयातित तेलों के भाव कमजोर होने से बाजार में बिक नहीं पा रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि सरकार को देशी तेल तिलहनों के बाजार बनाने की ओर अधिक ध्यान देना होगा और इसी को केन्द्र बिन्दु में रखकर आयात निर्यात संबंधी नीतियां भी बनानी होगी।

सूत्रों ने कहा कि कुछ तेल संगठन मौजूदा हालात को लेकर तेल तिलहनों का वायदा कारोबार खोलने की वकालत कर रहे हैं। ऐसे लोगों का असली मकसद तेल तिलहन के कारोबार में फिर से मनमानी कर कीमतों में कृत्रिम उतार चढ़ाव पैदा कर अपना लाभ कमाना हो सकता है।
देशी तेल तिलहनों के खपने से न सिर्फ हमें तेल की प्राप्ति होगी, बल्कि दुधारू मवेशियों के लिए खल और मुर्गीदाने के लिए डीओसी भी इससे हमें मिलेगा जो दूध कीमतों की तेजी को काबू में ला सकते हैं।
सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज के मजबूत होने से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार आया। वैसे तो बिनौला तेल में भी सुधार है पर इससे कीमतों में तेजो समझना भूल होगी। कल के मुकाबले दाम में सुधार जरूर है लेकिन सस्ते आयातित तेलों ने बाजार को ऐसा बेदम किया है कि देशी तेल तिलहनों का खपना मुश्किल होगा।
इन आयातित तेलों, विशेषकर सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क अधिकतम स्तर तक लगा दिया जाये तो हमारे देशी तेल तिलहन बाजार में खपेंगे, किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे और उनकी तिलहन उत्पादन बढ़ाने के प्रति रुचि पैदा होगी, रोजगार बढ़ेंगे, देशी मवेशियों के खल और पाल्ट्री उद्योग के लिए डीओसी प्राप्त होगा तथा आयात पर निर्भरता कम होने के साथ बहुमूल्य विदेशीमुद्रा की बचत होगी।


बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 5,520-5,570 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,825-6,885 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,700 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,560-2,825 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,815-1,845 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,775-1,900 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,900 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,000 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,500 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,600 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 5,320-5,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 5,060-5,080 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

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