भारत मछली पकड़ने पर सब्सिडी से छूट की मांग जारी रखेगा

punjabkesari.in Friday, Jun 24, 2022 - 08:56 PM (IST)

नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से एक बार फिर मांग करेगा कि गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की गतिविधियों में लिप्त नहीं रहने वाले विकासशील देशों को अधिक मछली नहीं पकड़ने पर दी जाने वाली सब्सिडी की व्यवस्था से न्यूनतम 25 वर्षों के लिए छूट दी जाए।
मत्स्यपालन विभाग में संयुक्त सचिव जे बालाजी ने शुक्रवार को कहा कि डब्ल्यूटीओ की हाल में संपन्न जिनेवा बैठक में सदस्य देशों ने यह तय किया था कि अवैध एवं बिना नियमन वाली मछली पकड़ने में लिप्त मछुआरों को किसी तरह की सब्सिडी न दी जाए। इस फैसले को लागू करने के लिए सभी देशों को जरूरी ढांचा खड़ा करने को दो साल का वक्त दिया गया है।

बालाजी ने कहा कि यह मछली पकड़ने से जुड़े सब्सिडी समझौते का एक हिस्सा है जिस पर जिनेवा बैठक में सहमति बन गई। लेकिन इस समझौते के दूसरे हिस्से पर डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों के बीच विचार-विमर्श की प्रक्रिया अभी चलेगी।

बालाजी ने यहां संवाददाताओं से कहा, "हद से ज्यादा मछली पकड़ने और उसका भंडारण करने से संबंधित बिंदुओं पर बातचीत जारी रहेगी। हम इस बारे में विकासशील देशों के लिए 25 साल की छूट की मांग करेंगे।"
किसी देश के समुद्री तट से 200 समुद्री मील दूर जाकर मछली पकड़ना सुदूर या गहरे समुद्र में मछली पकड़ना माना जाता है।
बालाजी ने कहा, "हमारे मछुआरे छोटे स्तर वाले एवं परंपरागत हैं। भारत अपने मछुआरों को गहरे समुद्र में जाकर मछली न पकड़ने के लिए बहुत कम सब्सिडी देता है जबकि यूरोपीय संघ जैसे देश मछुआरों को भारी सब्सिडी देते हैं।"
इस संदर्भ में भारत का मत है कि औद्योगिक स्तर पर मछली पकड़ने की गतिविधियां विकसित कर चुके देशों को अधिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और सब्सिडी देने की नुकसानदेह व्यवस्था पर रोक लगानी चाहिए।

चीन, यूरोपीय संघ, कोरिया एवं जापान अपने मछुआरों को क्रमशः 7.2 अरब डॉलर, 3.8 अरब डॉलर, 3.18 अरब डॉलर और 2.8 अरब डॉलर की सब्सिडी देते हैं। वहीं भारत में सब्सिडी मुख्य रूप से नौकाओं एवं उनके ईंधन पर दी जाती है।




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PTI News Agency

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