डिजिटल खरीद व्यवस्था में भ्रष्टाचार की गुंजाइश नहीं: कैग

punjabkesari.in Tuesday, May 24, 2022 - 07:19 PM (IST)

नयी दिल्ली, 24 मई (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) गिरीश चंद्र मुर्मू ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से खरीद (ई-खरीद) व्यवस्था को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे सार्वजनिक खरीद में भ्रष्टाचार की गुंजाइश समाप्त होती है और कमीशन की मांग पर अंकुश लगता है।

कैग ने सर्वोच्च ऑडिट संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन (आईएनटीओएसएआई) के आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) ऑडिट पर कार्यसमूह (डब्ल्यूजीआईटीए) के डिजिटल रूप से आयोजित सेमिनार में यह बात कही। इसका आयोजन एसएआई (सुप्रीम ऑडिट इंस्टिट्यूशन) इंडिया ने किया था।

‘ई-खरीद व्यवस्था लेखा परीक्षण’ विषय पर आयोजित सेमिनार में डब्ल्यूजीआईटीए के अध्यक्ष के रूप में मुर्मू ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि ई-खरीद व्यवस्था में सार्वजनिक खरीद में भ्रष्टाचार और कमीशन की मांग पर अंकुश लगेगा। साथ ही इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और अधिकारियों तथा आपूर्तिकर्ताओं के बीच मिलीभगत पर भी लगाम लगेगा क्योंकि हर लेनदेन डिजिटल माध्यम से होगा, जिसपर नजर रखी जा सकती है।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि सर्वोच्च ऑडिट संस्थानों को सतर्क रहने की भी जरूरत है। क्योंकि खरीद प्रक्रिया में कई चरण में निर्णय लेने का अधिकार भी होता है। इससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश रहती है।

मुर्मू ने कहा कि भारत सरकार ने ई-खरीद को राष्ट्रीय ई-संचालन व्यवस्था के तहत एक मिशन मोड परियोजना के रूप में चिन्हित किया है। इसका उद्देश्य सरकारी / सार्वजनिक खरीद गतिविधियों को श्रम-गहन कागज आधारित गतिविधि से एक कुशल इलेक्ट्रॉनिक खरीद प्रक्रिया में बदलना है।

भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के दो प्रमुख ई-खरीद मंच राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) की सरकारी ई-खरीद प्रणाली (जीईपी) और गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पोर्टल हैं।
कैग ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के जरिये 13 अरब डॉलर का सामान खरीदा गया था। सरकार के स्तर पर देश में अब कागजी निविदा और खरीद की जगह ई-खरीद ने ले ली है।

मुर्मू ने कहा कि लेखा परीक्षक सार्वजनिक जवाबदेही के संरक्षक हैं। उन्हें व्यापक स्तर पर डिजिटलीकरण से हुए बदलाव को स्वीकार करने और उसे अपनाने की जरूरत है। उन्हें इसके अनुसार लेखा परीक्षा में दिशानिर्देश और कार्यप्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है।



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PTI News Agency

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