हरित हाइड्रोजन खरीद को अनिवार्य किया जाएगा: आर के सिंह

punjabkesari.in Tuesday, Jun 22, 2021 - 05:51 PM (IST)

नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने मंगलवार को कहा कि नवकीरणीय ऊर्जा क्रय करने के दायित्व (आरपीओ) के अंतर्गत हरित हाइड्रोजन की खरीद का विकल्प भी रखा जाएगा।

आरपीओ के तहत वितरण कंपनियों और बड़े ग्राहकों के लिये शर्त है कि वे कुल बिजली खपत का एक हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करे। वे आरपीओ नियमों का पालन करने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादकों से आरई (नवीकरणीय ऊर्जा) प्रमाणपत्र भी खरीद सकते हैं।
सिंह ने ऊर्जा पर संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय वार्ता, 2021 का विषय “ऊर्जा परिवर्तन के लिए वैश्विक चैंपियन के रूप में भारत की भूमिका’ पर जानकारी देते हुए वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘हरित हाइड्रोजन को आरपीओ के अंतर्गत लाया जाएगा। इसे राज्यों के लिये हाइड्रोजन खरीद बाध्यता भी कहा जा सकता है। इससे हरित ऊर्जा की बिक्री सुनिश्चित होगी।’’
मंत्री ने राज्यों द्वारा आरपीओ लक्ष्यों को हासिल करने में कमी पर निराशा भी व्यक्त की।

उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर राज्यों ने अपने आरपीओ के लक्ष्य को पूरा नहीं किया। वर्ष 2030 तक बिजली उत्पादन की कुल स्थापित क्षमता 821 मेगावाट होगी। इसमें 450 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता होगी। इसीलिए राज्यों के लिये जरूरी है कि वे आरपीओ को पूरा करें।’’
सिंह ने कहा कि आरपीओ लक्ष्य को पूरा नहीं करने पर राज्यों के जुर्माने का प्रावधान होगा।

हरित हाइड्रोजन के उच्च और अव्यवहारिक मूल्य के बारे में उन्होंने कहा कि बिक्री और उत्पादन मात्रा बढ़ने के साथ कीमत नीचे आएगी जैसा कि हमने सौर और पवन ऊर्जा के मामले में देखा है।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर में नीलामी के दौरान सौर के मामले में शुल्क 2 रुपये यूनिट से नीचे तक आ गयी थी।

देश में सौर उपकरण के विनिर्माण के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार इसे बढ़ावा दे रही है और दिसंबर 2022 तक 70,000 मेगावाट विनिर्माण क्षमता होगी।

वर्ष 2022 तक 1,75,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल करने के महत्वकांक्षी लक्ष्य के बारे में सिंह ने स्वीकार किया कि कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ और अन्य पाबंदियों से देश में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये समयसीमा बढ़ानी पड़ी है। हमें बोलियों को आगे बढ़ाना पड़ा है। ‘लॉकडाउन’ के कारण कुछ बाधाएं उत्पन्न हुई हैं।’’
संवाददाता सम्मेलन के दौरान दी गयी जानकारी के अनुसार देश में 1,41,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (बड़ी पनबिजली परियोजनाएं समेत) स्थापित हो चुकी हैं। जबकि 80,000 मेगावाट क्रियान्वयन और निविदा के विभिन्न चरणों में हैं।
ऊर्जा पर संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय वार्ता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की ऊर्जा पहुंच और ऊर्जा बदलाव के क्षेत्र में जो प्रगति है, उसमें कई चीजें सीखने को हैं। यह दूसरे देशों को उनके ऊर्जा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने तथा कारगर जलवायु परिवर्तन पर कार्य शुरु करने में लाभ दे सकती हैं।

मंत्रालय के बयान के अनुसार उन्होंने कहा कि ऊर्जा पर संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय वार्ता भारत को पूरे विश्व के साथ अपने अनुभवों को साझा करने का अवसर प्रदान करती है।

सिंह ने कहा, ‘‘सभी के लिए किफायती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा (सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी-7) तक पहुंच सुनिश्चित करने के वैश्विक लक्ष्य के लिए लगभग दस वर्ष बचे हैं इसलिए मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धताओं और ऊर्जा पहुंच के विस्तार, नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित करने तथा ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के नवोन्मेषी उपायों की आवश्यकता है।’’
मंत्री ने अन्य सभी देशों, खासकर पहले लाभ उठा चुके देशों से कहा कि वे वैश्विक ऊर्जा में बदलाव का समर्थन करने के लिए महत्वाकांक्षी रूप से काम करें जो उचित, समावेशी और न्यायसंगत है।

सिंह ने बताया कि भारत सौर, पवन और जैव ऊर्जा,भंडारण प्रणाली, हरित हाइड्रोजन तथा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करके 2030 तक 4,50,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के अपने लक्ष्य के आधार पर आगे बढ़ते हुए अपनी ‘ऊर्जा कॉमपैक्ट’ को अंतिम रूप देगा।

उन्होंने भारत द्वारा तैयार की जा रही ‘ऊर्जा कॉमपैक्ट’ की प्रकृति का विवरण दिया। ऊर्जा पर उच्च स्तरीय वार्ता के एक प्रमुख परिणामों में ऊर्जा कॉमपैक्ट होगा।
‘ऊर्जा कॉमपैक्ट’ सदस्य देशों तथा कंपनियों, क्षेत्रीय / स्थानीय सरकारें ,गैर-सरकारी संगठनों आदि गैर-राज्य क्षेत्रों की स्वैच्छिक प्रतिबद्धताएं हैं।
सिंह ने न्यूयार्क में सितंबर 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा वार्ता आयोजित किए जाने का स्वागत किया।
सितंबर में वार्ता के लिए तैयारी प्रक्रियाओं के हिस्से के रूप में भारत कुछ प्रमुख आयोजन कर रहा है। इसमें 23 जून 2021 को ऊर्जा बदलाव को लेकर अन्य प्रमुख देशों के साथ मंत्री स्तरीय विषय संबंधी मंच की सह-मेजबानी शामिल है।



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PTI News Agency

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