दुखी दिल वाले अवश्य पढ़ें यह कहानी, मिलेगी जीवन की सबसे बड़ी जीत
punjabkesari.in Sunday, Dec 27, 2015 - 09:26 AM (IST)

नवीन एक प्राइवेट विद्यालय में शिक्षक था। नवीन शुरू से ही शांत प्रकृति का इंसान था। एक दिन कक्षा में पढ़ाते हुए किसी बच्चे पर उसे गुस्सा आ गया और उसने उस बच्चे को डांट दिया। बच्चे को अपना अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ, उसने अपनी कापी फाड़ दी और नवीन के सवालों का जवाब नहीं दिया।
नवीन ने इसके लिए न तो उस बच्चे को कोई सजा दी और न ही इसकी शिकायत शाला प्रबंधन और न ही उस बच्चे के अभिभावकों से की। इस घटना से नवीन के दिल को बहुत ठेस पहुंची और उस बच्चे के प्रति उसका व्यवहार बदल गया। उसने फिर कभी उस बच्चे को कुछ नहीं कहा।
नवीन का मन उस बच्चे द्वारा किए अप्रत्याशित व्यवहार और अपने अपमान के भाव को भुला नहीं पाया। नवीन के मन के ये हालात हालांकि और किसी की समझ में नहीं आ रहे थे लेकिन इससे सबसे ज्यादा खुद नवीन और वह बच्चा पीड़ित थे। खुद उस बच्चे ने नवीन से पूछा, ‘‘सर, आप सबको उनकी गलतियों के लिए डांटते हैं लेकिन मुझे क्यों नहीं डांटते?
मुझसे क्या गलती हो गई है, ‘‘आप मेरे प्रति ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं?’’
दरअसल नवीन उस बच्चे को दिल से माफ नहीं कर पा रहा था। एक अध्यापक के नाते वह अपना अध्यापन का फर्ज तो निभा रहा था लेकिन अंदर ही अंदर अपने प्रति उस बच्चे के व्यवहार की खटास उसे सहज नहीं होने दे रही थी। नवीन का मन उस अपमान को भुला नहीं पाया था। उस बच्चे के व्यवहार से नवीन को दुख पहुंचा था। ऐसा होते-होते कई दिन बीत गए। कुछ दिनों बाद नवीन का शहर के एक ध्यान शिविर में जाना हुआ जहां ध्यान से पहले आत्म शुद्धि के लिए एक सैशन चल रहा था। वहां अनुदेशक सब लोगों से अपने आपसे दूसरों को माफ करने के लिए कह रहा था—जिसने तुम्हारा दिल दुखाया उसे माफ कर दो। उसकी गलतियों की सजा भगवान् खुद देगा। तुम उसे माफ न करके अपने आपको पीड़ा दे रहे हो। माफ कर दो और अपने मन का बोझ हल्का कर दो। किसी के गलत व्यवहार को अपने मन में मत रखो, उसे भुला दो और उस इंसान को सच्चे दिल से माफ कर दो। माफ कर देना सजा देने से बड़ी बात है। नवीन पर भी उस सैशन का असर पड़ा। नवीन पिछले कई दिनों से उस बच्चे को माफ नहीं कर पा रहा था।
इस ध्यान सत्र के दौरान नवीन ने भी उस बच्चे को माफ कर दिया। आज नवीन को एहसास हुआ कि माफ कर देना जीवन की सबसे बड़ी जीत है।