भगवान हैं तो दुनिया में इतना दुख-दर्द क्यों है

punjabkesari.in Saturday, Feb 14, 2015 - 09:12 AM (IST)

एक आदमी हमेशा की तरह अपने नाई की दुकान पर बाल कटवाने गया। बाल कटवाते वक्त अक्सर देश-दुनिया की बातें हुआ करती थीं। आज भी वे सिनेमा, राजनीति और खेल जगत इत्यादि के बारे में बात कर रहे थे कि अचानक भगवान के अस्तित्व को लेकर बात होने लगी।

नाई ने कहा, ‘‘देखिए भैया, आपकी तरह मैं भगवान के अस्तित्व में यकीन नहीं रखता।’’

‘‘तुम ऐसा क्यों कहते हो?’’ आदमी ने पूछा।

‘‘अरे, यह समझना बहुत आसान है, बस गली में जाइए और आप समझ जाएंगे कि भगवान नहीं हैं। आप ही बताइए कि अगर भगवान होते तो क्या इतने लोग बीमार होते? इतने बच्चे अनाथ होते? अगर भगवान होते तो किसी को कोई दर्द-कोई तकलीफ नहीं होती।’’

नाई ने बोलना जारी रखा, ‘‘मैं ऐसे भगवान के बारे में नहीं सोच सकता जो इन सब चीजों को होने दे। आप ही बताइए कहां हैं भगवान?’’

आदमी एक क्षण के लिए रुका, कुछ सोचा परंतु बहस बढ़े न इसलिए चुप ही रहा।

नाई ने अपना काम खत्म किया और आदमी कुछ सोचते हुए दुकान से बाहर निकला तथा कुछ दूर जाकर खड़ा हो गया। कुछ देर इंतजार करने के बाद उसे एक लम्बी दाढ़ी-मूंछ वाला अधेड़ व्यक्ति उस तरफ आता दिखाई पड़ा, उसे देखकर लगता था मानो वह कितने दिनों से नहाया-धोया न हो।

आदमी तुरन्त नाई की दुकान में वापस घुस गया और बोला, ‘‘जानते हो इस दुनिया में नाई नहीं होते।’’

‘‘भला कैसे नहीं होते हैं?’’ नाई ने सवाल किया, ‘‘मैं साक्षात तुम्हारे सामने हूं।’’

‘‘नहीं।’’ आदमी ने कहा, ‘‘वे नहीं होते हैं वर्ना किसी की भी लम्बी दाढ़ी-मूंछ नहीं होती पर वह देखो सामने उस आदमी की कितनी लम्बी दाढ़ी-मूंछ हैं।’’

‘‘अरे नहीं भाई साहिब, नाई होते हैं लेकिन बहुत से लोग हमारे पास नहीं आते।’’ नाई बोला।

‘‘बिल्कुल सही।’’ आदमी ने नाई को रोकते हुए कहा, ‘‘यही तो बात है, भगवान भी होते हैं पर लोग उनके पास नहीं जाते और न ही उन्हें खोजने का प्रयास करते हैं इसीलिए दुनिया में इतना दुख-दर्द है।’’


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