सुंदरी मुंदरी... लोहड़ी के इस गीत में दुल्ला भट्टी कौन था ?

punjabkesari.in Sunday, Jan 13, 2019 - 11:08 AM (IST)

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13 जनवरी उत्तर भारत का प्रसिद्ध त्योहार लोहड़ी मनाया जाएगा। बता दें कि कुछ मान्यताओं के अनुसार ये पर्व मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति की पूर्वसंध्या पर इस त्योहार का हर्षों उल्लास देखने को मिलता है। रात्रि में खुले स्थान में परिवार और आस-पड़ोस के लोगों के साथ और अपने रिशतेदारों के साथ मिलकर आग के किनारे घेरा बना कर बैठते हैं और रेवड़ी, मूंगफली, लावा आदि खाते हैं। 
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आप में से बहुत से लोग होंगे जो जानते होंगे कि लोहड़ी को दुल्ला भट्टी की एक कहानी से भी जोड़ा जाता है। बहुत से लोगों ने लोहड़ी के गीत भी सुने होंगे तो बता दें कि ये सभी गाने दुल्ला भट्टी से ही जुड़े हैं या ये भी कहा जा सकता है कि लोहड़ी के गानों का केंद्रबिंदु दुल्ला भट्टी को ही बनाया जाता है। तो आइए आज हम आपको इससे जुड़ी उस कहानी के बारे में बताते हैं, जिसके बारे में आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे। 
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कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी भारत के मध्यकाल का एक वीर था, जो मुगल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था। उसे 'पंजाब के नायक' की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उस समय संदल बार की जगह पर लड़कियों को गुलामी के लिए बलपूर्वक अमीर लोगों को बेचा जाता था। लेकिन दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत लड़कियों को न ही मुक्त करवाया बल्कि उनकी शादी हिन्दू लड़कों से करवाई और उनकी शादी की सभी व्यवस्थाएं भी करवाईं।
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लोकनायक दुल्ला भट्टी की अमरता से जुड़ा यह पर्व उत्तर भारत, खास कर पंजाब में लोहड़ी का त्योहार, जो मकर संक्रांति की पूर्व संध्या का बेहतरीन उत्सव है। पंजाब के लोकप्रिय पर्व लोहड़ी को जलते अलाव के साथ-साथ वहां के बुज़ुर्ग दुल्ला भट्टी की कहानी बयां करना नहीं भूलते।
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Jyoti

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