ज्वाला देवी ही नहीं यहां भी हज़ारों सालों से जल रही है अखंड ज्योति
punjabkesari.in Friday, Jan 04, 2019 - 03:25 PM (IST)
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भारत में कई शक्तिपीठ स्थापित हैं, इतना तो सभी जानते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इन शक्तिपीठ के स्थापित से जुड़ी कथा माता सती और भगवान शंकर से संबंधित है। लेकिन इसके अलावा भी भारत में देवी के ऐसे कई मंदिर आदि स्थापित हैं, जहां इनके अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो देशभर में बहुत प्रसिद्धि हासिल किए हुए हैं। हम बात कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बीजा नगरी में शक्ति स्वरूपा मां हरसिद्धि के चमत्कारी मंदिर के बारे में। वैसे तो सारा साल यहां भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते ही रहते हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान तो यहां आस्था का सैलाब ही उमड़ आता है।
लोक मान्यता के अनुसार इस मंदिर में लगभग 2000 वर्षों से एक अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित है जो हवा चलने पर भी नहीं बुझती। लोगों को कहना है यहां आए दिन चमत्कार होते ही रहते हैं, जिस कारण मंदिर की ख्याति दूरदराज तक फैली हुई है। बता दें कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी माता जी के मंदिर में माथा टेक चुके हैं। मंदिर के पुजारियों ने बताया दिनभर में माता के तीन रूप दिखाई देते हैं, जिसमें मूर्ति में सुबह मां का बचपन झलकता है, दोपहर में जवानी का और शाम को मूर्ति में मां का बुढ़ापे का रूप नज़र आता है। कहा जाता है कि यहां जल रही अखंड ज्योति को जलाए रखने के लिए हर महीने डेढ़ क्विंटल तेल लगता है, जबकि नवरात्रि के दौरान 10 क्विंटल तेल लगता है। इस मंदिर में एख मान्ता बहुत समय से चली आ रही है जो ये है कि जब लोग यहां किसी मन्नत को लेकर आते हैं, तो वो गोबर से उल्टा स्वस्तिक बनाकर जाते हैं और जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो वे दोबारा मंदिर में आकर सीधा स्वस्तिक बनाते हुए मां का धन्यवाद करते हैं।
पौराणिक कथा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के समय उनके भानजे विजयसिंह का यहां पर शासन था। विजयसिंह उज्जैन में स्थित मां हरसिद्धि के बहुत बड़े भक्त थे और वे रोज स्नान के बाद अपने घोड़े पर बैठकर उज्जैन स्थित मां हरसिद्धि के मंदिर में दर्शन के लिए जाते थे और उसके बाद ही भोजन करते थे। एक दिन मां हरसिद्धि ने राजा को सपने में दर्शन दिए और राजा से बीजानगरी में ही मंदिर बनवाने और मंदिर का दरवाज़ा पूर्व दिशा में रखने को कहा। राजा ने वैसा ही किया। परंतु उसके बाद माता जी फिर राजा के सपने में आईं और कहा कि वो मंदिर में विराजमान हो गई हैं और मंदिर का दरवाज़ा जो तुमने पूर्व में रखा था, पर अब वह पश्चिम में हो गया है। जब सुबह उठकर राजा ने मंदिर में जाकर देखा तो वो हैरान रह गया, क्योंकि मंदिर का द्वार सच में खुद ही पश्चिम में हो चुका था।
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