गुस्से वाली आवाज पर तेजी से ध्यान देता है दिमाग: अध्ययन
punjabkesari.in Monday, Dec 10, 2018 - 10:39 AM (IST)
सिडनी: वैज्ञानिकों का कहना है कि हम आक्रामक या खतरे वाली आवाजों पर सामान्य या खुशी से भरी आवाजों की तुलना में जल्द ध्यान देते हैं। सोशल, कॉग्निटिव एंड अफैक्टिव न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार हमारा ध्यान धमकी भरी आवाजों पर अधिक केंद्रित होता है ताकि संभावित खतरे के स्थान को स्पष्ट रूप से पहचानने में सक्षम हो सकें। स्विट्जरलैंड में जिनेवा विश्वविद्यालय (यू.एन.आई.जी.ई.) के शोधकर्ताओं ने दिखाया कि जब हम खतरा भांपते हैं तो हमारा दिमाग कैसे संसाधनों का लाभ उठाता है।
दृष्टि और श्रवण दो इंद्रियां हैं जो मनुष्य को खतरनाक परिस्थितियों का पता लगाने की अनुमति देती हैं। यद्यपि दृष्टि महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सुनने के विपरीत आस-पास की जगह के 360 डिग्री कवरेज की अनुमति नहीं देती है। यू.एन.आई.जी.ई. के एक शोधकर्ता निकोलस बुरा ने कहा कि यही कारण है कि हमारी दिलचस्पी इस बात में है कि हमारा ध्यान हमारे आस-पास की आवाजों में विभिन्न उतार-चढ़ाव पर कितनी तेजी से जाता है और हमारा मस्तिष्क संभावित खतरनाक परिस्थितियों से कैसे निपटता है। श्रवण के दौरान खतरों को लेकर मस्तिष्क की प्रतिक्रिया की जांच करने के लिए शोधकर्ताओं ने 22 मानव आवाज की लघु ध्वनियों (600 मिलीसैकेंड) को प्रस्तुत किया जो तटस्थ उच्चारण थे या क्रोध या खुशी व्यक्त करते थे।
दो लाऊडस्पीकरों का उपयोग करके, इन ध्वनियों को 35 प्रतिभागियों के सामने प्रस्तुत किया गया, जबकि इलैक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राम (ई.ई.जी.) ने मस्तिष्क में मिलीसैकेंड तक विद्युत गतिविधि को मापा। विशेष रूप से, शोधकर्ताओं ने श्रवण ध्यान प्रसंस्करण से संबंधित इलैक्ट्रोफिजियोलॉजिकल घटकों पर ध्यान केंद्रित किया। यू.एन.आई.जी.ई. में शोधकत्र्ता लियोनार्डो सेरावोलो ने कहा, ‘‘गुस्से में संभावित खतरे का संकेत हो सकता है, यही कारण है कि मस्तिष्क लंबे समय तक इस तरह की उत्तेजना विश्लेषण करता है।’’शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन में पहली बार प्रदॢशत हुआ कि कुछ सौ मिलीसैकेंड में, हमारा दिमाग गुस्से वाली आवाजों की उपस्थिति के प्रति संवेदनशील है।