आतंकवाद का मुकाबला एकजुट होकर करो

punjabkesari.in Thursday, Nov 22, 2018 - 04:38 AM (IST)

पिछले 3-4 महीनों से पंजाब के लोग तनाव में तो थे। टैंस तो पंजाब का वातावरण था। देख तो पंजाब के लोग रहे ही थे कि शिरोमणि अकाली दल में यह क्या उठा-पटक हो रही है? रोज अपशकुनी की खबरें तो आ रही थीं कि बादल परिवार और कैप्टन अमरेंद्र के बीच टकराव बढऩे लगा है।

टैलीविजन वाले परम पावन श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं को हवा देने में लगे थे। नित्य बरगाड़ी बेअदबी का मसला और निहत्थे 2 लोगों की मृत्यु अखबारों की सुर्खियां तो बनी ही हुई थीं। यह भी पंजाब की जनता को आभास हो रहा था कि टकसाली-अकाली और बादल परिवार का टकराव कोई गुल न खिला दे? कुछ ऐसे ही मंदभागे वातावरण में राजासांसी का निरंकारी भवन आतंकवादियों की गिरफ्त में आ गया। आतंकवादियों ने ग्रेनेड फैंक 3 मासूम लोगों की हत्या कर दी। बीसियों को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया। 

पिछले हफ्ते से पंजाब के लोग सुन रहे थे कि खूंखार आतंकवादी जाकिर मूसा पंजाब के सरहदी इलाके में घूमता देखा गया। यह भी प्रसारित हो रहा था कि 4 अवांछित युवकों ने एक इनोवा कार से ड्राइवर को बाहर फैंक कर कार का माधोपुर (पठानकोट) से अपहरण कर लिया है। यह भी सर्वविदित था कि कुछ आतंकवादी पाकिस्तान से भारत की सीमा में घुस आए हैं। 

‘अलर्ट’ के बावजूद हमला
पंजाब पुलिस ने स्वयं इन सब चीजों के प्रति जनता को आगाह किया था। प्रशासन ने 1-2 नहीं, 3-3 रैड अलर्ट जारी कर रखे थे। सारी गुप्तचर एजैंसियां सजग थीं। पर इतना सब कुछ होते हुए भी आतंकवादी राजासांसी निरंकारी भवन तक पहुंच गए। इसका दोषी कौन होगा, गुप्तचर एजैंसियां, पुलिस या सरकार? कैप्टन अमरेंद्र सिंह बड़े सुयोग्य मुख्यमंत्री हैं क्या उन्हें इतना भी पता नहीं था कि पंजाब का माहौल गर्माता जा रहा है। कनाडा में खालिस्तानी, गर्म ख्यालिए इकट्ठा हो रहे हैं? पंजाब के लोग 10-12 साल आतंकवाद के भुक्तभोगी रहे हैं? पंजाब ने आतंकवाद के अंधे युग में 25,000 मासूम लोगों की लाशों का बोझ उठाया है? यह आतंकवाद पुन: गुरुओं की पवित्र धरती को नर्क न बनाए। 

आसार ठीक नहीं
पंजाब सरकार अमृतसर के बहादुर, अपने-अपने कामकाज में मस्त रह कर रोजी-रोटी कमाने वालों का इम्तिहान न ले। क्या यह 80-90 के दशकों की निरंकारी-अकाली टकराव की पुनरावृत्ति तो नहीं? कैप्टन साहब इसे यहीं रोक लो। आसार अच्छे नहीं। पंजाब पुलिस प्रमुख सुरेश अरोड़ा आतंकवादियों के इस चैलेंज को स्वीकार करें। श्रीनगर का उदाहरण आपके सामने होना चाहिए। कोई भी आतंकवादी बच कर न जाए। पंजाब के दोषियों का तो मकसद ही यह है कि निरंकारी-अकाली टकराएं। हिंदू-सिख आपस में लड़ मरें। मुसलमान पाकिस्तान की जय-जयकार करें। पर कैप्टन अमरेद्र सिंह का ध्येय यह हो कि पंजाब का भाईचारा किसी कीमत पर न बिगड़े। 

सबसे खरी बात मैं पंजाब के लोगों से कहूंगा। देखो, आप सब ने पंजाब को मिल कर ऊपर उठाना है। मैं शपथ लेकर कहता हूं पंजाब के हर वर्ग का पंजाब पर पूरा अधिकार है-हिंदू का भी, सिख का भी। अन्य मजहब वालों का भी इस पर पूर्ण एक समान अधिकार है। जिस दिन पंजाब इस अधिकार को भूल जाएगा, पंजाब नहीं बचेगा। पहले ही लड़ कर इसे पंजाब को एक सूबे की जगह ‘सूबी’ कहां जाने लगा। 

देश की ढाल है पंजाब
सारे देश की ढाल है यह पंजाब, भारत का अन्नदाता है। आतंकवादियों के भड़कने से पंजाबी भड़क जाएगा तो पंजाब का बहुत नुक्सान होगा। आतंकवादी तो ऐसी घटनाएं करेंगे ही और यदि पंजाबी आमने-सामने हो गया तो 80-90 के दशक को हम स्वयं दोहरा देंगे। जितना गहरा पंजाब का संकट उतना ही गहन ङ्क्षचतन पंजाबी करे। हम सब एक ही भारत मां की संतान हैं। गुरु नानक देव जी हम सबके आराध्य हैं। हिंदू-सिख उसी नानक महाराज के नाम लेवा हैं। हम आतंकवादियों, गर्मख्यालियों के झांसे में नहीं आएंगे। 

आतंकवाद के विरुद्ध समय सब एक। आतंकी किसी का सगा नहीं। मैं राजनीतिक पाॢटयों से भी कहूंगा कि एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने से पंजाब का भला नहीं होगा। कैप्टन अमरेंद्र सिंह जी और स. प्रकाश सिंह बादल दोनों जानते हैं कि 1980 से 1992 के आतंकवादी दौर ने पंजाब में आतंकियों ने किसको बख्शा? हमारी तो औरतें तक दांव पर लगी हुई थीं। सब राजनीतिक दल आतंकियों से एकजुट होकर लड़ें। नहीं तो डूबेगी किश्ती, तो डूबोगे सारे। इकट्ठे जियो, इकट्ठे होकर आतंकवाद का मुकाबला करो।


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Pardeep

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