स्कूली छात्रों की सुरक्षा से संबंधित सुझाव को high Court से मिली मंजूरी

punjabkesari.in Friday, Nov 16, 2018 - 09:47 AM (IST)

कोलकाता: केंद्र ने कोलकाता उच्च न्यायालय की ओर से नियुक्त न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) के उन दिशा-निर्देशों को मंजूर कर लिया है जिसमें पश्चिम बंगाल के स्कूली छात्रों की सुरक्षा से संबंधित सुझाव दिए गए थे।  केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) कौशिक चंदा ने कोर्ट को बताया कि ‘बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम’(2009) पहले ही स्कूली छात्रों की सुरक्षा का प्रावधान करता है, फिर भी केंद्र सरकार न्यायमित्र के बताए कदमों (स्टैंडर्ड ऑफ प्रोसीजर) से सहमत है।

     

राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त एडवोकेट जनरल अभ्रतोष मजूमदार ने भी मामूली बदलावों के साथ न्यायमित्र के दिशा-निर्देशों से सहमति जताई।     न्यायमित्र फिरोज एडल्जी को न्यायमूर्ति नादिरा पथेरिया की ओर से इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों की राय शामिल कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। न्यायालय ने शुक्रवार को फैसला सुनाने के लिए कहा था।    

 

गौरतलब है कि न्यायमूर्ति पथेरिया ने शहर के एक स्कूल में दो अध्यापकों के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार से जुड़े केस पर सुनवाई करते हुए वकील फिरोज एडल्जी को न्यायमित्र नियुक्त किया था. साथ ही उन्होंने न्यायमित्र को सुझाव देने के लिए एक पैनल भी गठित किया था, जिसमें 6 नामी स्कूलों के शिक्षाविद, पश्चिम बंगाल राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष, यूनिसेफ और राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि शामिल हैं।

 

 न्यायमित्र ने सोमवार को 100 पन्नों की अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी, जिसमें पश्चिम बंगाल राज्य बाल संरक्षण आयोग के तहत एक नोडल संस्था बनाने का सुझाव दिया गया था। रिपोर्ट में नोडल संस्था का काम स्कूल स्टाफ, छात्रों और परिजनों को जागरुक बनाने के लिए एक सेलेबस तैयार करना बताया गया है। इसके अलावा स्कूल में किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति से पहले उसके बारे में हर जरूरी जानकारी की जांच करने का भी सुझाव दिया गया है। बुधवार को जस्टिस पथेरिया ने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार से उनके अधीन आने वाले स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में यौन अपराध रोकने के लिए न्यायमित्र के सुझावों पर अपनी राय देने के लिए कहा था।      


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pooja

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