Kundli Tv- भइया दूज पर किसे जाना चाहिए घर, भाई या बहन को ?

punjabkesari.in Friday, Nov 09, 2018 - 10:21 AM (IST)

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पंचपर्व महोत्सव दिवाली का पांचवां पर्व भइया दूज है। भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक यह त्योहार देशभर में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है जोकि आज है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर केसर का तिलक लगाकर और कलाई पर मौली बांधकर भगवान से अपने भाइयों की लम्बी आयु की कामना करती हैं व भाई बहनों को उपहार देकर उनकी सदा रक्षा करने का संकल्प करते हैं। इस दिन यमुना में स्नान करना तथा बहन के हाथ से बना भोजन खाने की मान्यता है। बहनें अपने भाई की लम्बी आयु के लिए यम की पूजा करती हैं और व्रत भी रखती हैं।
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पौराणिक कथा : भगवान सूर्य नारायण की पत्नी संज्ञा की दो संतानें उत्पन्न हुई जिनमें एक यमुना तथा दूसरा यमराज। सूर्य की गर्मी को सहन न कर पाने के कारण संज्ञा उत्तर ध्रुव में छाया होकर रहने लगी। वहां उसने ताप्ती (नदी) और शनिचर दो और संतानों को जन्म दिया। ऐसे में छाया यमुना और यमराज के दूसरी देह से होने के कारण उनसे विमाता जैसा व्यवहार करने लगी। जिस कारण यमराज ने यमलोक बसाया और वहां सृष्टि को दंड देने का कार्य संभाला तथा यमुना भूलोक में बहने लगी। 
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एक दिन यमराज को अपनी बहन की याद आई तो वह उसे ढूंढते हुए उसके पास आए। यमुना ने भाई से मिलकर उसका खूब आदर सत्कार किया तथा खूब बढि़या पकवान बनाकर खिलाए। यमराज ने प्रसन्न होकर यमुना को वरदान मांगने को कहा तो यमुना ने कहा कि जो भाई यमुना में स्नान करेंगे उन्हें यमलोक में जाना नहीं होगा। ऐसे में भाई यमराज ने कहा कि यमुना तुम तो हजारों मीलों में बहती हो यदि मैंने यह वरदान तुझे दे दिया तो यमलोक ही उजड़ कर रह जाएगा। ऐसे में यमुना ने कहा कि भइया चिंता मत करो, जो भाई भइया दूज के दिन मथुरा के विश्राम घाट पर स्नान करेगा, बहन के हाथ से मस्तक पर टीका करवाएगा, बहन के हाथ का बना भोजन खाएगा तथा यमराज की कथा सुनेगा उसे यम यातना से छुटकारा मिल जाएगा। भाई यमराज ने बहन यमुना को यह वरदान दिया। तब से यह परंपरा चली आ रही है कि बहनें आज भी अपने भाइयों के माथे पर केसर अथवा रोली से तिलक लगाकर यमराज से उनकी लम्बी आयु की कामना करती हैं।
PunjabKesariभइया दूज को यमुना नदी में स्नान करने की बड़ी महत्ता है। बहनें पवित्र जल में स्नान करने के पश्चात मार्कण्डेय, बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा और परशुराम जी आदि आठ चिरंजीवियों का विधिपूर्वक पूजन करें, बाद में भाई के माथे पर तिलक लगाते हुए सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी, समुद्र, वेद, पुराण, तप, सत्य, ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा सभी देवताओं से अपने भाई के परिवार की सुख-स्मृद्धि के लिए प्रार्थना करें। भाई का मुंह मीठा कराएं। भाई अपनी बहन को अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें। 
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आज बदलते परिवेश के साथ बहनें अपने भाई को टीका करने लगी हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार भाई को अपनी बहन के घर जाना चाहिए।
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Niyati Bhandari

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