देश में 92 प्रतिशत महिलाएं 10 हजार से भी कम वेतन लेकर कर रही हैं काम

punjabkesari.in Thursday, Oct 18, 2018 - 08:55 AM (IST)

नई दिल्लीः देश में एक तरफ जहां महिला सशक्तिकरण का बड़ा जोरशोर से ढिंढोरा पीटा जाता है, वहीं एक विश्वविद्यालय की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कामकाजी 92 प्रतिशत महिलाओं को प्रति माह 10,000 रुपए से भी कम की तनख्वाह मिलती है। इस मामले में पुरुष थोड़ा बेहतर स्थिति में हैं लेकिन हैरत की बात यह है कि 82 प्रतिशत पुरुषों को भी 10,000 रुपए प्रति माह से कम की तनख्वाह मिलती है।

 
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सतत रोजगार केंद्र ने श्रम ब्यूरो के 5वीं वार्षिक रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण (2015-2016) के आधार पर स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया, 2018 रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें उन्होंने देश में कामकाजी पुरुषों और महिलाओं पर आंकड़े तैयार किए हैं।

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रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर 67 प्रतिशत परिवारों की मासिक आमदनी 10,000 रुपए थी जबकि 7वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) द्वारा अनुशंसित न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रति माह है। इससे साफ होता है कि भारत में एक बड़े तबके को मजदूरी के रूप में उचित भुगतान नहीं मिल रहा है।

 

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लिबरल स्टडीज, अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर और देश में बढ़ती बेरोजगारी पर से पर्दा उठाने वाली स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया, 2018 रिपोर्ट के मुख्य लेखक अमित बसोले ने बेंगलुरू से आईएएनएस को ई-मेल के माध्यम से बताया, "यह आंकड़े श्रम ब्यूरो के पांचवीं वार्षिक रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण (2015-2016) पर आधारित है. यह आंकड़े पूरे भारत के हैं। उन्होंने कहा, "मैट्रो शहरों में इसकी स्थिति अलग होगी क्योंकि गांवों और छोटे शहरों की तुलना में इन शहरों में महिलाओं और पुरुषों की आमदनी अधिक है।"

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स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया, 2018 रिपोर्ट के मुताबिक, चिंता की बात यह है कि विनिर्माण क्षेत्र में भी 90 प्रतिशत उद्योग मजदूरों को न्यूनतम वेतन से नीचे मजदूरी का भुगतान करते हैं। असंगठित क्षेत्र की हालत और भी ज्यादा खराब है। अध्ययन के मुताबिक, तीन दशकों में संगठित क्षेत्र की उत्पादक कंपनियों में श्रमिकों की उत्पादकता छह प्रतिशत तक बढ़ी है, जबकि उनके वेतन में मात्र 1.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

 

क्या आप मानते हैं कि शिक्षित युवाओं के लिए वर्तमान हालात काफी खराब हो चुके हैं, जिस पर सहायक प्रोफेसर अमित बसोले ने कहा, "आज की स्थिति निश्चित रूप से काफी खराब है, खासकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में. हमें उन कॉलेजों से बाहर आने वाले बड़ी संख्या में शिक्षित युवाओं का बेहतर उपयोग करने की आवश्यकता है।"

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Sonia Goswami

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