शोधः बिना नर के 2 मादा दे सकती हैं बच्चे को जन्म

punjabkesari.in Saturday, Oct 13, 2018 - 12:10 PM (IST)

बीजिंग:  2 मादा मिल कर एक बच्चे को जन्म दे सकती हैं। इसके लिए किसी नर की भी जरूरत नहीं। ये दावा किया है चाइनीज़ एकेडमी ऑफ़ साइंसेस के शोधकर्ताओं ने। उनका कहना है कि बिना नर चूहे के दो चुहिया मिलकर बच्चे को जन्म दे सकती हैं। हालांकि, प्रजनन के तय नियमों को तोड़ते हुए, इस तरह से बच्चे के जन्म को संभव बनाने में आनुवांशिक इंजीनियरिंग का अहम योगदान है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 'बायमैटर्नल' (दोनो मादा चुहिया) स्वस्थ थीं और  बच्चे को जन्म के लिए सक्षम थीं। लेकिन नर ऐसा नहीं कर सकते। शोधकर्ताओं ने दो चूहों के संयोग से प्रजनन कराने की कोशिश की, लेकिन जन्म लेने वाले बच्चे पैदा होते ही मर गए या एक-आध दिन तक ही जी सके। इस शोध से सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई है। 
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दरअसल, यह शोध वैज्ञानिकों द्वारा सेक्स से जुड़े मौलिक प्रश्नों का जवाब खोजने के दौरान सामने आया। स्तनधारियों में सेक्शुअल री-प्रोडक्शन होता है, मतलब इसके लिए मां के अंडाणु और पिता के स्पर्म का मेल होना ज़रूरी होता है। लेकिन स्तनधारियों के अलावा दुनिया के दूसरे जीवों में प्रजनन के लिए यह कोई तय नियम नहीं है। कुछ मादा मछलियां, रेंगने वाले जीव, उभयचर और पक्षी अकेले ही प्रजनन कर लेते हैं। इस प्रॉसेस को वर्जिन बर्थ कहा जाता है और इस तरह के जीवों को पार्थेनोजेनेसिस कहते हैं। चीन के शोधकर्ता ये जानने की कोशिश कर रहे थे कि प्रजनन का वो कौन-सा नियम है जिसे तोड़कर वो एक ही लिंग के चूहों में प्रजनन करा सकते हैं। अगर ये पता चल जाए किस नियम से एक लिंग के जीवों में प्रजनन कराया जा सकता है तो ये भी समझने में देर नहीं लगेगी कि वह नियम इतना ज़रूरी क्यों है।
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 कम शब्दों में कहा जाए तो विज्ञान की अत्याधुनिक तकनीक से दो मादाओं के साथ ये कर पाना आसान है। शोधकर्ताओं ने एक मादा के अंडे लिए और दूसरे से एक विशेष प्रकार की कोशिका-हैप्लोइड भ्रूण स्टेम सेल। दोनों में आवश्यक अनुवांशिक निर्देश या डीएनए केवल आधे थे, लेकिन दोनों को सिर्फ़ साथ लाना ही पर्याप्त नहीं था। शोधकर्ताओं को इसके लिए एक ख़ास तकनीक का इस्तेमाल करना पड़ा, जिसे जीन एडिटिंग कहते हैं। जीन एडिटिंग के द्वारा डीएनए के तीन सेट्स को हटा दिया गया, ताकि वो एक-दूसरे से जुड़ कर पहले से कहीं बेहतर हो जाएं।प्रजनन के लिए सेक्स की ज़रूरत डीएनए की वजह से होती है।
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डीएनए यानी आनुवांशिक कोड। इन्हीं की वजह से हर इंसान का व्यवहार दूसरे से अलग होता है। बच्चे में ये उसकी मां और पिता से आता है। इस शोध का नेतृत्व करने वाले डॉ. वी ली का कहना है कि इससे पता चलता है कि आने वाले समय  में ऐसा इंसानों में भी संभव हो सकता है और शायद सेक्स की जरूरत भी खत्म हो सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑकलैंड की डॉक्टर टेरेसा होम का कहना है कि आने वाले समय में शायद ये भी संभव हो जाए, लेकिन फिलहाल तो नहीं। संभव है कि यह शोध आने वाले समय में समान सेक्स वाले लोगों को स्वस्थ बच्चे जन्म देने की दिशा में मददगार हो सके। हालांकि, इस प्रक्रिया से जुड़ी अपनी चिंताएं हैं और सावधानियां हैं, जिसे दूर किए जाने की ज़रूरत है। इसे तब तक आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए, जब तक कि वैज्ञानिक इसकी पुष्टि न कर दें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रक्रिया से जन्म लेने वाले बच्चे मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ होंगे। 

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Tanuja

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