अविश्वास प्रस्ताव: अपनों ने दिया सोनिया को धोखा, मोदी को बनाया राजनीति का किंग!
punjabkesari.in Saturday, Jul 21, 2018 - 05:39 PM (IST)
नई दिल्ली: संसद में विपक्ष की तरफ से पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव की अग्निपरीक्षा में मोदी सरकार कल पास हो गई है। मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में 126 के मुकाबले 325 मतों से गिर गया। वैसे तो कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के समर्थन से टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव का गिरना पहले से तय था। हालांकि ऐंटी बीजेपी वोटों की संख्या के हिसाब से विपक्ष को कुछ ज्यादा वोटों के मिलने का अनुमान था, लेकिन जब वोटिंग हुई तो अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में उम्मीद से भी कम वोट गिरे। बड़ा सवाल अब ये उठ रहा है कि क्या मोदी ने 2019 चुनाव से पहले विपक्षी एकता में ही सेंध लगा दी है?
दक्षिण की राजनीति से लगा विपक्ष को झटका
विशेषज्ञों ने मुताबिक विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पर सबसे बड़ा झटका दक्षिण की राजनीति से लगा। दिलचस्प बात यह है कि साउथ इंडिया की एक पार्टी (टीडीपी) ने अविश्वास प्रस्ताव लाया। साउथ इंडिया की दूसरी पार्टी (टीआरएस) ने वोटिंग से अनुपस्थित रहकर मोदी सरकार विपक्ष को नुक्सान पहुंचाया। अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में साउथ इंडिया की तीसरी पार्टी (एआईएडीएमके) ने वोटिंग कर दी। अविश्वास प्रस्ताव के बाद दक्षिण की यह सियासी तस्वीर ने मोदी को फिर से राजनीति का किंग बना दिया।
सांसदों ने दिया सोनिया को धोखा
वहीं सोनिया गांधी ने जिन नंबर का भरोसा जताया था लिहाजा पार्टी प्रवक्ताओं का मजबूरी थी वो भी इस यकीन पर खरे उतरें, लेकिन कल जब लोकसभा में वोटिंग हुई तो सारा सस्पेंस खत्म हो गया। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले कांग्रेस के पास 147 सांसद थे लेकिन अविश्वास प्रस्ताव में वोट सिर्फ 126 ही मिल पाया, यानी सोनिया की उम्मीद से 21 सांसदों कम निकले। अब सोचने वाली बात यह है कि आखिर किस सांसदों ने कांग्रेस को धोखा दिया।
आइए एक नजर डालते हैं इन आंकड़ों पर
टीडीपी (15) के अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस (48), टीएमसी (34), सीपीएम (9), आरजेडी (4) और आम आदमी पार्टी (4) ने पहले ही समर्थन की घोषणा कर दी थी। इसके अलावा विपक्षी एकता या ऐंटी-बीजेपी वोटों के आधार पर एसपी (7), एनसीपी (7), एआईयूडीएफ (3), आईएनएलडी (2), एनसी (1), जेडीएस (1), सीपीआई (1), जेएमएम (2), पीडीपी (1), आरएनएलडी (1), एआईएमआईएम (1), आईयूएमएल (2) जैसे दलों से समर्थन मिलने की उम्मीद थी। यानी कुल मिलाकर विपक्ष को 140 से अधिक वोट पाने के आसार साफ थे। यानी उसके पास जितने वोट थे वो भी वो हासिल नहीं कर पाई। ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या इस तरह विपक्ष 2019 के चुनावों में सफल हो पाएगा?