Kundli Tv- इस हथियार से करें शत्रु पर वार, निश्चित मिलेगी जीत

punjabkesari.in Sunday, Jun 17, 2018 - 09:49 AM (IST)

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बैजनाथ के पिता जब मृत्यु शैया पर थे तो उन्होंने बड़ी पीड़ा भरे स्वर में पुत्र से कहा, ‘‘बेटा, मैं अपनी संगीत कला द्वारा जीते जी अपने दुश्मन को हरा न सका, इस बात की मेरे मन में बड़ी भारी पीड़ा है।’’ 

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बैजनाथ ने पिता के समक्ष भावुक स्वर में प्रण किया, ‘‘मैं आपके दुश्मन से बदला लूंगा, पिता जी।’’ इसके बाद बैजनाथ के पिता ने सदा के लिए आंखें मूंद लीं। उसके मन में विचार उठा कि पिता के शत्रु से बदला लेने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि संगीत के क्षेत्र में उनसे भी बढ़ कर काम किया जाए।


उसने मन ही मन संगीत की साधना करने की ठानी। कुछ ही समय में बैजनाथ संगीत में ऐसा खोया कि लोग उसे ‘बावरा’ कहने लगे। उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई। एक दिन वहां के राजा उसकी ख्याति और संगीत कला का जादू देखने-सुनने स्वयं अपने राज दरबार के मशहूर गायक के साथ बैजनाथ के पास पधारे।

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बैजनाथ के संगीत को सुन राजा वाह-वाह कर उठे और उन्होंने बैजनाथ को राजमहल चलने को कहा, पर वह जाने को तैयार नहीं हुआ। उसने कहा, ‘‘ईश्वर के मुकाबले किसी व्यक्ति विशेष के दरबार में गाना संगीत और कला के लिए मुझे अनुचित लगता है।’’ 

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राजा के साथ आया मशहूर संगीतकार और गायक भी नतमस्तक हो गया। बैजनाथ के समक्ष उसे अपना अस्तित्व एवं अपनी साधना अत्यधिक तुच्छ अनुभव हुई। बैजनाथ अपने पिता की इच्छा पूरी कर प्रतिशोध ले चुका था। राजा के साथ आया मशहूर संगीतज्ञ ही बैजनाथ के पिता का संगीत क्षेत्र का शत्रु था। वह गायक और राजा कोई और नहीं, संगीत सम्राट तानसेन और बादशाह अकबर ही थे। यह बैजनाथ ही आगे चलकर ‘बैजू बावरा’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनका मानना था कि शत्रु को हथियार से नहीं, कर्मों की बड़ी रेखा खींचकर ही पराजित किया जाना चाहिए।

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Jyoti

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