मंदिर में चढ़ती है चप्पलों की माला, रात में पहन कर घूमती हैं मां !

punjabkesari.in Tuesday, Jun 05, 2018 - 02:32 PM (IST)

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मंदिरों में देवी-देवताओं को खुश करने के लिए उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। भारत के एक अज़ब मंदिर की गज़ब परंपरा है। कर्नाटक के गुलबर्ग के आलंदा तहसील में गोला लकम्मा देवी मंदिर में श्रद्धालु देवी मां को चप्पल चढ़ाते हैं। यही नहीं इस मंदिर में 'फुटवियर फेस्टिवल' भी मनाया जाता है। जिसमें देश-विदेश से भक्त मां को चप्पल अर्पित करने आते हैं। इस फेस्टिवल के दौरान शाकाहारी-मांसाहारी भोजन का भोग भी लगता है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु कहते हैं, चप्‍पल चढ़ाने से बुरी बलाओं से रक्षा होती है। पैरों और घुटनों के दर्द से राहत मिलती है। 

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मंदिर के सामने नीम का पेड़ है, जहां लोग चप्पल बांधते हैं और मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। एक बात और हैरान करने वाली है,  इस मंदिर के पुजारी हिंदू नहीं बल्कि मुसलमान ही होते हैं। मंदिर के बाहर बने बाज़ार से चप्पलों की मालाएं खरीदी जा सकती हैं। हिन्दूओं के साथ-साथ यह पवित्र स्थल मुसलमानों के लिए भी श्रद्धा का केंद्र है। कहा तो ये भी जाता है कि मां भक्‍तों द्वारा चढ़ाई गई चप्‍पलों को रात में पहन कर घूमती हैं और सदा उनकी रक्षा करती हैं।

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स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में विराजित देवी पहाड़ी पर टहल रही थीं। दुत्तारा गांव के देवता की बुरी नज़र उन पर पड़ गई, वह उनका पीछा करने लगा। उससे अपनी रक्षा के लिए मां ने अपने सिर को जमीन में धंसा दिया। तभी से लेकर आज तक मां की प्रतिमा उसी रूप में विराजित है। मां के मुख का नहीं बल्कि पीठ का पूजन होता है। 
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चप्पल चढ़ाने से पहले मंदिर में बैलों की बलि दी जाती थी। जब बलि प्रथा पर रोक लगाई गई तो देवी का प्रकोप बरसने लगा। मां को शांत करने के लिए चप्पल चढ़ाने की परंपरा का आरंभ हुआ।

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Niyati Bhandari

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