RBI के डिप्‍टी गवर्नर विरल आचार्य ने दिया इस्‍तीफा, कार्यकाल खत्म होने के 6 महीने पहले छोड़ा पद

punjabkesari.in Monday, Jun 24, 2019 - 10:08 AM (IST)

नई दिल्‍ली: भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है। वह मौद्रिक नीति विभाग के प्रमुख थे। आरबीआई में अब तीन डिप्टी गवर्नर एन. एस. विश्वनाथन, बी. पी. कानूनगो और एम. के. जैन बचे हैं। आरबीआई के लिए यह दूसरा बड़ा झटका है क्योंकि करीब 7 महीने के अंदर आरबीआई के किसी उच्‍च अधिकारी ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपने पद को छोड़ दिया है। इससे पहले आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने दिसंबर में निजी कारण बताते हुए अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया था जबकि उनका कार्यकाल अभी शेष था।
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6 महीने पड़े थे कार्यकाल खत्म होने में
डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कार्यकाल पूरा होने के करीब छह महीने बाकि थे लेकिन उससे पहले ही उन्होंने अपना पद छोड़ दिया। आचार्य आरबीआई के उन बड़े अधिकारियों में शामिल थे जिन्‍हें उर्जित पटेल की टीम का हिस्‍सा माना जाता था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आचार्य अब न्‍यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सेटर्न स्‍कूल ऑफ बिजनेस में बतौर प्रोफेसर ज्‍वाइन करेंगे। उन्होंने 23 जनवरी 2017 को आरबीआई के बतौर डिप्‍टी गवर्नर के पद पर ज्वाइन किया था।

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नए गवर्नर के फैसलों से अलग विचार
डिप्‍टी गवर्नर विरल आचार्य आरबीआई के नए गवर्नर शक्‍तिकांत दास के फैसलों से अलग विचार रख रहे थे। गवर्नर शक्‍तिकांत दास और डिप्‍टी गवर्नर विरल आचार्य के महंगाई दर और ग्रोथ रेट के मुद्दों पर एक मत नहीं थे। इतना ही नहीं हाल ही में मॉनीटरिंग पॉलिसी बैठक के दौरान राजकोषीय घाटे को लेकर भी दोनों के विचारों में सहमति नहीं बनी थी।
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बता दें कि मोदी सरकार के कार्यकाल में यह तीसरा बड़ा इस्तीफा है। इससे पहले दिसंबर 2018 में उर्जित पटेल ने बतौर आरबीआई गवर्नर कार्यकाल पूरा होने से पहले अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया था और उससे पहले अरविंद सुब्रमण्यम ने जुलाई 2018 में व्यक्तिगत कारणों से मुख्य आर्थिक सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया था। इतना ही नहीं अगस्‍त 2017 में नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहे अरविंद पनगढ़िया ने भी अपना पद छोड़ दिया था।


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Seema Sharma

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