बांग्लादेश में शेख हसीना के समर्थकों पर बढ़े हमले; भारत ने जताया विरोध, यूनुस सरकार ने दिखाई सख्ती
punjabkesari.in Saturday, Feb 08, 2025 - 11:20 AM (IST)
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Dhaka: बांग्लादेश (Bangladesh) की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) कर रहे हैं, ने शुक्रवार को देशभर में हो रही तोड़फोड़ और आगजनी पर सख्ती से रोक लगाने की घोषणा की। यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक प्रमुख विपक्षी दल और भारत ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina)से जुड़े ऐतिहासिक घर पर हुए हमले को लेकर गंभीर चिंता जताई है। बुधवार रात से देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा भड़क उठी, जिसमें हसीना के समर्थकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। पूर्व सांसदों, कैबिनेट मंत्रियों और हसीना की पार्टी अवामी लीग के कई कार्यालयों में आग लगा दी गई।
अंतरिम सरकार ने आरोप लगाया कि यह हिंसा हसीना की "भड़काऊ" टिप्पणियों का परिणाम है, जिनके जरिए वे बांग्लादेश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रही हैं। हसीना के भारत से अपने समर्थकों को संबोधित करने के एक घंटे पहले ही प्रदर्शनकारियों ने ढाका में स्थित उस ऐतिहासिक आवास पर हमला कर दिया, जहां से 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की गई थी। इस हमले के 24 घंटे बाद, अंतरिम सरकार ने एक बयान जारी कर चेतावनी दी कि हिंसा और तोड़फोड़ के कृत्यों को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मोहम्मद यूनुस ने शुक्रवार देर रात एक और बयान में सभी नागरिकों से कानून-व्यवस्था बनाए रखने और हसीना के समर्थकों की संपत्तियों को नुकसान न पहुंचाने की अपील की।
भारत ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे "वीर प्रतिरोध" का प्रतीक बताया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, **"बांग्लादेश की राष्ट्रीय चेतना के लिए इस आवास का ऐतिहासिक महत्व है। इस तरह की बर्बरता की कड़ी निंदा की जानी चाहिए।" हसीना के आलोचकों और छात्र संगठनों ने सोशल मीडिया पर दिनभर अभियान चलाया और "बुलडोजर जुलूस" निकालने की घोषणा की। जब प्रदर्शनकारी रहमान के घर पर पहुंचे, तो वहां मौजूद पुलिस ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया। बाद में सैनिकों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन फिर पीछे हट गए। गौरतलब है कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश छोड़कर भारत चली गई थीं, जिससे उनके 15 साल लंबे शासन का अंत हो गया था। अब देश की राजनीतिक स्थिति बेहद संवेदनशील बनी हुई है।