बर्बादी की कगार पर देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक, ग्राहक ऐसे बचाएं अपना पैसा
punjabkesari.in Friday, Mar 06, 2020 - 07:22 PM (IST)
नई दिल्ली। 2004 से शुरुआत करने वाले येस बैंक ने जितनी तेजी से ग्रोथ की आज वो उतनी ही तेजी से डूब रहा है। कभी प्राइवेट बैंकों के दौड़ में शामिल येस बैंक आज दिवालिया हो गया है! ये वही बैंक है जिसने 2005 में 300 करोड़ रुपये के आईपीओ के साथ शेयर मार्केट में धमाल मचा दिया था।
एक खबर से मचा हड़कंप
गुरूवार को एक खबर आई और फिर सब बदल गया, येस बैंक के ग्राहक एटीएम की तरफ दौड़ पड़े लेकिन एटीएम से पैसे नहीं निकले। लोगों ने ऑनलाइन बैंकिंग ट्रांसेक्शन करने की कोशिश की लेकिन वहां भी काम नहीं बना। हुआ यूं कि आरबीआई ने येस बैंक के घाटे में जाने के बाद बैंक का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है और अगले आदेश तक येस बैंक के ग्राहकों के लिए 50,000 रुपये तक निकालने की सीमा तय कर दी है। इसके बाद से ही येस बैंक के ग्राहक परेशान हैं। अब सवाल ये हैं कि सफलता के परचम छूने वाला येस बैंक अचानक तेजी से नीचे कैसे आ गया।
Mumbai: RBI imposed moratorium for a month on Yes Bank due to 'serious deterioration in its financial position', capping withdrawals at Rs 50000. Customers say "We weren't informed. Wanted to withdraw cash but ATM run out of cash,as many withdrew. We're in trouble,Holi is coming" pic.twitter.com/aSWcKjA0NK
— ANI (@ANI) March 5, 2020
तेजी से बांटे गए लोन
दरअसल, पिछले करीब 4 तिमाही से बैंक लगातार घाटे में जा रहा था। कारण था बैंक का धड़ल्ले से लोन बांटना। इसी वजह से आरबीआई ने बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर को भी अक्टूबर 2018 में पद से हटाने का आदेश दिया था। होना ये था कि बैंक जो बांट रहा था उसी तेज़ी से पैसा वापस भी ला पाता लेकिन ऐसा हुआ नहीं और बैंक हर दिन कमजोर होता गया।
इतना ही नहीं बैंक ने आसानी से लोन उन लोगों को भी दिया जो लौटाने के काबिल नहीं थे। कुछ रिपोर्ट्स की माने तो बैंक ने रिश्तों के आधार पर लोन बांटे। येस बैंक को लेकर ये भी माना जाता है कि बैंक ने हमेशा ऐसे कर्जदारों को लोन दिया जिनसे पैसे की वापसी हो पाना मुश्किल था। बैंक ने अपनी नीतियों को दरकिनार कर हमेशा ग्राहक के साथ आपसी रिश्ता सुधारने के लिए लोन बांटे।
जब बैंक को लगा झटका
2017 में बैंक की 6,355 करोड़ रुपये की रकम को बैड लोन में डाल दिया था। आरबीआई को जब इसकी जानकारी मिली तो उसने बैंक पर नियंत्रण करने की कोशिश शुरू कर दी। इसकी वजह था आरबीआई द्वारा 2018 में बैंक के सीईओ राणा कपूर को जनवरी 2019 तक सीईओ का पद छोड़ने के लिए कहा जाना। इस बात के खुलासे से येस बैंक के शेयरों में 30 फीसदी की आई और फिर उसके बाद येस बैंक कभी इस संकट से निकल नहीं सका।
लुढ़का शेयर बाजार
येस बैंक की खबर से सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन में शेयर बाजार खुलते ही 1,300 अंक लुढ़क गया और बैंक के शेयर में 30 फीसदी की गिरावट आई है। बाजार में बैंकिंग से जुड़े शेयरों में तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है, जबकि एक्सिस बैंक, एसबीआई और इंड्सइंड बैंक के शेयरों में गिरावट का दौर अभी जारी है। वहीँ मौजूदा हालातों में जब कोरोना वायरस और आर्थिक मंडी का दौर हैं तब इस खबर के आने से अगले सप्ताह भी शेयर बाजार में सुधार की उम्मीद नहीं मानी जा रही है।
Mumbai: RBI imposed moratorium for a month on Yes Bank due to 'serious deterioration in its financial position', capping withdrawals at Rs 50000. Customers say "We weren't informed. Wanted to withdraw cash but ATM run out of cash,as many withdrew. We're in trouble,Holi is coming" pic.twitter.com/aSWcKjA0NK
— ANI (@ANI) March 5, 2020
ग्राहकों के लिए आगे क्या
बैंकों के डूबने की प्रथा पुरानी है। कुछ वक़्त पहले जब पीएमसी बैंक घोटाला हुआ तब सरकार ने ग्राहकों की दिक्कतों को देखते हुए उनके जमा पैसे पर बीमा की राशि को बढ़ा दिया। इस बारे में वित्त वर्ष 2020-21 आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंश्योरेंस गारंटी की सीमा को 1 लाख से बढ़ा कर 5 लाख कर दिया। मौजूदा नियम के अनुसार, अगर कोई बैंक डूबता है तो ग्राहकों को अधिकतम 5 लाख रुपये वापस करने की गारंटी है। वहीँ आरबीआई ने भी कहा है कि बांकन ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है, अगले कुछ दिनों में बैंक के रीस्ट्रक्चरिंग प्लान पर काम किया जायेगा।