अलविदा 2017: AAP का दिल्ली की सत्ता के गलियारों से शुरू हुआ सफर दिल्ली तक सिमटा

punjabkesari.in Friday, Dec 29, 2017 - 07:53 PM (IST)

नई दिल्ली: भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की उपज आम आदमी पार्टी (आप) अब पांच बरस की हो गई है। साल 2017 पार्टी के लिए निराशाजनक ही रहा। आप ने विस्तार के इरादे से कई राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन कहीं भी सफलता हाथ नहीं लगी। गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में पार्टी के उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। पार्टी में टूट और अंदरुनी कलह खुलकर दिखाई दी। हालांकि, इस बीच पार्टी ने सरकारी स्कूलों के संचालन में सुधार और प्राथमिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम जरूर हुआ।
PunjabKesariदिल्ली उपचुनाव की जीत से मिली अॉक्सीजन
साल 2017 की शुरुआत में पार्टी ने विस्तार की नीति के तहत पंजाब और गोवा में चुनाव लड़ने का फैसला किया। पंजाब में सत्ता का दावा कर रही पार्टी विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रही लेकिन गोवा में पार्टी के उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। इस हार से उबरने के लिए पार्टी बड़े जोर-शोर से दिल्ली नगर निगम चुनाव में उतरी लेकिन यहां भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि बवाना विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मिली जीत ने आद आदमी पार्टी को अॉक्सीजन जरूर दी।
PunjabKesariनिष्कासित मंत्री ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
जल संसाधन मंत्री कपिल मिश्रा को पानी की दिक्कतों की शिकायतें आने पर पद से हटा दिया गया। इसके बाद मिश्रा ने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इस पर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। आमतौर पर हर बात पर मुखर होकर बोलने वाले केजरीवाल दो करोड़ रुपए रिश्वत लेने के आरोप पर चुप्पी साधे रहे। उनकी यह चुप्पी समर्थकों भी हैरान करती रही। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि बिना सबूत के आरोपों पर जवाब देना वह जरूरी नहीं समझते हैं।
PunjabKesariदिग्गजों की रार में खेमेबंदी खुलकर आई सामने
पार्टी के कुछ सदस्यों के बागी सुर भी परेशानी का सबब बने रहे। कपिल मिश्रा की बर्खास्तगी के बाद रह-रहकर कुमार विश्वास के साथ अरविंद केजरीवाल का मनमुटाव सुर्खियों में रहा। अब हाल में राज्यसभा सीट को लेकर एक बार केजरीवाल और कुमार विश्वास की रार खुलकर सामने दिखाई दी। विश्वास के समर्थकों ने उन्हें उम्मीदवार बनाने के लिए इतने उग्र हो गए कि पार्टी नेताओं को उन्हें काबू करने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल करना पड़ा। हालांकि अभी फाइनल फैसला 3 जनवरी को पार्टी कोर बैठक में होगा।
PunjabKesariआगे आने वाला समय भी पार्टी के लिए कांटों भरा
यह तो स्पष्ट है कि यह साल पार्टी के लिए खासा उतार-चढ़ाव भरा रहा और आगे आने वाला समय भी पार्टी के लिए कांटों भरा रहने वाला है, क्योंकि लाभ के पद मामले में फंसे पार्टी के 21 विधायकों की विधानसभा सदस्यता पर चुनाव आयोग की तलवार लटकी हुई है। साल के अंत में गुजरात चुनाव भी पार्टी के लिए निराशा और हताशा भरा रहा। इस राज्य में भी पार्टी बुरी तरह से हारी। दिल्ली की सत्ता के गलियारों से शुरू हुआ सफर कई राज्यों में हार के बाद दिल्ली की राजनीति तक ही सिमटता दिख रहा है।


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