वुहान लैब से ही लीक हुआ कोरोना ! भारतीय वैज्ञानिकों ने हैरानीजनक तरीके से जुटाए सबूत
punjabkesari.in Sunday, Jun 06, 2021 - 11:07 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः कोरोना वायरस पूरी दुनिया में जमकर तबाही मचा रहा है। कई देशों में इसकी दूसरी और तीसरी लहर चल रही है जिस पर काबू पाने के अथक प्रयास किए जा रहे हैं। कोरोना की उत्पत्ति को लेकर चीन दुनिया भर के निशाने पर है। अमेरिकी वैज्ञानिकों कई बार दावा कर चुके हैं कि वायरस वुहान से लक हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जांच एजेंसियों से जल्द से जल्द इस बारे में रिपोर्ट देने को कहा है। अमेरिका के बाद अब भारत के वैज्ञानिक ने दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान लैब से लीक हुआ था। भारत में पुणे के रहने वाले वैज्ञानिक दंपत्ति डॉ. राहुल बाहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर ने इस संबंध में हैरानीजनक तरीके से सबूत जुटाए हैं ।
इस भारतीय वैज्ञानिक दम्पति ने दुनिया के अलग-अलग देशों में बैठे अनजान लोगों के साथ मिलकर इंटरनेट से सबूत एकत्रित किए हैं।जिन लोगों ने इंटरनेट से सबूत जुटाए हैं वे पत्रकार, गुप्तचर या खुफिया एजेंसियों के लोग भी नहीं बल्कि अनजान लोग हैं जिनका मुख्य स्रोत ट्विटर और दूसरे ओपन सोर्स हैं। इन लोगों ने अपने समूह को ड्रैस्टिक (डीसेंट्रलाइज्ड रेडिकल ऑटोनॉमस सर्च टीम इनवेस्टिगेटिेंग कोविड-19) का नाम दिया है। इन लोगों का मानना है कि कोरोना चीन के मछली बाजार से नहीं बल्कि वुहान की लैब से निकला है। इनकी इस थ्योरी को पहले षड्यंत्र बताकर खारिज कर दिया गया था लेकिन इसने अब दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
ये लोग चीनी दस्तावेज का अनुवाद कर अपने स्तर पर इसकी जांच कर रहे हैं। चाइनीज एकेडमिक पेपर और गुप्त दस्तावेजों के अनुसार इसकी शुरुआत साल 2012 से हुई जब छह खदान श्रमिकों को यन्नान के मोजियांग में उस माइनशाफ्ट को साफ करने भेजा गया था जहां चमगादड़ों का आतंक था। उन श्रमिकों की वहां मौत हो गई। साल 2013 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. शी झेंगली और उनकी टीम माइनशाफ्ट से सैंपल अपने लैब लेकर आईं।
डॉ. शी झेंगली का कहना है कि श्रमिकों की मौत गुफा में मौजूद फंगस की वजह से हुई जबकि ड्रैस्टिक का दावा है कि शी को एक अज्ञात कोरोना स्ट्रेन मिला जिसे उन लोगों ने आरएसबीटीकोव/4491 का नाम दिया था। रिपोर्ट के अनुसार वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट के साल 2015-17 के पेपर में इस का विस्तार से जिक्र किया गया है। ये बहुत ही विवादित प्रयोग थे जिन्होंने वायरस को बहुत अधिक संक्रामक बना दिया। यह थ्योरी बताती है कि एक लैब की गलती कोविड-19 के विस्फोट का कारण बनी।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Related News
Recommended News
Recommended News

Anant Chaturdashi: आज अनंत चतुर्दशी पर इस विधि से करें पूजा, हर मनोकामना हो जाएगी पूरी

भाजपा का 2024 के चुनावों को लेकर रोहतक में होगा मंथन

Chanakya Niti: इस तरह के लोगों से भगवान हमेशा रहते हैं प्रसन्न, देखें क्या आप भी हैं उनकी गिनती में

Anant Chaturdashi: आज इस कथा को पढ़ने से मिलेगा राजयोग का सुख