नीतीश फिर पलटी मारेंगे या BJP से निभाएंगे वादा? इस दिग्गज के भविष्यवाणी ने मचाया सियासी हड़कंप
punjabkesari.in Sunday, Jul 13, 2025 - 08:38 AM (IST)

नेशनल डेस्क: बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचलें तेज़ हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर फिर से सवाल उठने लगे हैं कि क्या वे एक बार फिर पाला बदलेंगे या इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठबंधन को कायम रखते हुए सत्ता में लौटेंगे। बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार को ‘पलटी मार’ नेता के तौर पर देखा जाता है क्योंकि वे अपने लंबे राजनीतिक करियर में कई बार गठबंधन बदल चुके हैं। लेकिन इस बार तस्वीर कुछ अलग हो सकती है। ऐसा कहना है मशहूर आध्यात्मिक विचारक और भविष्यवक्ता स्वामी यो का, जिनकी राजनीतिक भविष्यवाणियाँ अक्सर चर्चा में रहती हैं।
स्वामी यो की भविष्यवाणी: नीतीश अब नहीं करेंगे गठबंधन से पीछे
स्वामी यो ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा, "फिलहाल किसी बड़े राजनीतिक बदलाव की संभावना नहीं दिख रही है। नीतीश कुमार बीजेपी का साथ छोड़ने वाले नहीं हैं क्योंकि वे अपने जीवन के चौथे चरण में प्रवेश कर चुके हैं और इस समय उनके लिए स्थिरता सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।" यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नीतीश कुमार का राजनीतिक इतिहास उन्हें अविश्वसनीय बना देता है लेकिन यदि वे इस बार स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं तो यह राज्य की राजनीति के लिए एक बड़ा संकेत हो सकता है।
बीजेपी के लिए सुनहरा मौका, युवाओं को साधने की तैयारी
स्वामी यो ने आगे कहा कि, "बिहार चुनाव इस बार बीजेपी के लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है। पार्टी राज्य के युवाओं को एकजुट करने में सफल हो सकती है।" दरअसल बीजेपी इस बार चुनाव में ‘मोदी मैजिक’ के साथ बेरोजगारी, विकास, और जातीय जनगणना जैसे मुद्दों को केंद्र में रखकर जनता के बीच उतरने की तैयारी कर रही है। पार्टी का फोकस विशेष रूप से युवाओं और शहरी मतदाताओं पर है, जिनकी संख्या लगातार बढ़ रही है और जो अब ज्यादा सजग और जागरूक हो चुके हैं।
क्या उभरेगा तीसरा विकल्प?
बिहार में फिलहाल दो मुख्य राजनीतिक ध्रुव – एनडीए और महागठबंधन – ही चुनावी दौड़ में सबसे आगे दिख रहे हैं लेकिन कुछ चेहरे तीसरे विकल्प की तलाश में लगे हुए हैं। इसमें पप्पू यादव और प्रशांत किशोर प्रमुख हैं जो पिछले कुछ वर्षों से अपने-अपने तरीके से जनता से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि उन्हें अभी तक राज्यव्यापी समर्थन नहीं मिला है लेकिन युवाओं और शहरी मतदाताओं में उनकी बातें सुनी जा रही हैं। ऐसे में अगर कोई बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम होता है तो ये चेहरे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
जनता के मूड पर नजर
राज्य की जनता इस बार ज्यादा सतर्क और जागरूक दिखाई दे रही है। जहां एक ओर जातीय समीकरण अपना असर डाल सकते हैं वहीं दूसरी ओर नौजवान बेरोजगारी और विकास जैसे ठोस मुद्दों पर मतदान कर सकते हैं। ऐसे में किसी भी दल को जीतने के लिए पारंपरिक राजनीति से आगे बढ़कर वास्तविक ज़मीनी मुद्दों पर ध्यान देना होगा।