क्या कनाडा से वतन वापसी करेंगे भारतीय, बेरोजगारी दर जून में 12.6 फीसदी तक पहुंची!

punjabkesari.in Monday, Jul 22, 2024 - 09:18 AM (IST)

नेशनल डेस्क: कनाडा में विदेशियों की संख्या कम करने के प्रयासों के बाद यह कहा जा रहा है कि भारतीय अब वतन वापसी करने लगे हैं। इसकी एक वजह यह भी बताई जा रही है कि कनाडा गए कई भारतीयों को इस समय रिकॉर्ड बेरोजगारी की मार झेलनी पड़ रही है। कनाडा में हाल ही में बसे आप्रवासियों के लिए बेरोजगारी दर जून में 12.6% थी। यह पिछले 10 वर्षों का सबसे खराब बेरोजगारी स्तर है। कनाडा में स्थायी नागरिकता हासिल करने वालों में सबसे ज्यादा लोग भारतीय हैं। इसलिए भारतीयों पर ही इस बेरोजगारी की मार सबसे ज्यादा पड़ने की संभावना है। हालांकि मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि पिछले आठ महीनों में कनाडा की जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने भारत पर लगाए गए प्रतिबंधों से उनकी समस्या हल नहीं होगी और कनाडा से रिवर्स माइग्रेशन अभी दूर की बात है।

भारतीयों के प्रभावित होने की कितनी संभावना
कनाडा की राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी स्टैटिस्टिक कैनेडा के अनुसार 12.6% की बेरोजगारी दर 2023 से चार प्रतिशत कम है। कनाडाई मूल के लोगों में बेरोजगारी 5.5% है। साल 2023 में यह 5% थी। ग्लोब एंड मेल की रिपोर्ट के अनुसार, नए आंकड़े बताते हैं कि आप्रवासियों के बीच बेरोजगारी दर 2014 के बाद से सबसे ज्यादा है। आप्रवासियों में बढ़ती बेरोजगारी से भारतीयों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की संभावना इसलिए है क्योंकि हाल के वर्षों में कनाडा की सबसे ज्यादा नागरिकता भारतीयों को ही मिली है। साल 2023 में कनाडा ने 4,71, 810 लोगों को स्थायी नागरिकता दी। इनमें से 1,39,785 या लगभग 30% भारतीय थे। 'इमिग्रेशन, रेफ्युजीज़ एंड सिटीजनशिप' कैनेडा के आंकड़ों के अनुसार, 2019 के बाद से कनाडा आए 18,41,250 नए स्थायी निवासियों में से 5,14,435 भारतीय थे। स्टैटिस्टिक कैनेडा ने एक हालिया रिपोर्ट में खुलासा किया कि जून 2024 में 14 लाख बेरोजगार लोग थे, जो पिछले महीने से 42,000 (+3.1%) ज्यादा हैं। कनाडा में कंपनियां उच्च ब्याज दरों से जूझ रही हैं। इसी वजह से वे पिछले दो सालों में नियुक्तियां करने में झिझक रही हैं। आप्रवासियों की भारी आमद के कारण कनाडा की जनसंख्या में वृद्धि भी हुई है।

देश में अवसर होंगे तो ही लौटेंगे भारतीय
एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में ब्रैम्पटन में कनाडाई पंजाबी सांस्कृतिक सोसायटी के एक सेमिनार में पंजाबी विश्वविद्यालय के रिटायर प्रोफेसर कुलदीप सिंह ने कहा कि कनाडा में छात्रों की संख्या में कमी आई है लेकिन रिवर्स माइग्रेशन तभी संभव है जब भारत की सामाजिक आर्थिक स्थिति कनाडा से बेहतर होगी। इस स्थिति की फिलहाल कोई संभावना बनती नहीं दिख रही है। कुलदीप सिंह ने कहा कि कोई की शख्स तभी वापस लौटने की कल्पना कर सकता है, जब उसे अपने देश में ज्यादा असवरों दिखे। यह अभी भी एक कल्पना है, वास्तविकता से बहुत दूर है। विश्व विकास रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्रोफेसर सिंह ने कहा कि अंतररा ष्ट्रीय छात्रों के रूप में दुनियाभर में जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 2000 में 2 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 41 प्रतिशत हो गई है। कनाडाई आव्रजन परामर्श के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय छात्रों के कनाडा प्रवास में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। केवल 2019 में 198,235 छात्र भारत से कनाडा आए और इसमें से 71 प्रतिशत अनुपात पंजाब से थे।'

पंजाब से पलायन का कारण कृषि संकट
कुलदीप सिंह ने कहा कि पंजाब भारत के उन्नत राज्यों में से एक होने के बावजूद युवाओं को रोजगार नहीं दे पा रहा है। पंजाब से पलायन के प्रमुख कारण कृषि संकट, औद्योगीकरण की धीमी गति, भारतीय शिक्षा प्रणाली का लुप्त होना, रोजगार के अवसरों में कमी है, जिसके कारण पंजाबी युवा अपनी शिक्षा, रोजगार और रहने की सुविधाओं के लिए विदेशों में पलायन करने को मजबूर हैं। इमिग्रेशन रिफ्यूजीज एंड सिटिजनशिप कनाडा (आई.आर.सी.सी.) के आंकड़ों के अनुसार,अंतरराष्ट्रीय छात्रों की आबादी 2014 में 3.26 लाख से बढ़कर 2022 में 8 लाख से अधिक हो गई। दिसंबर 2023 के अंत तक देश में स्टडी परमिट धारकों की संख्या दस लाख को पार कर गई थी, इनमें से आधे से अधिक ओंटारियो में हैं।


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Content Editor

Mahima

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