चीन के जाल में फंसे श्रीलंका को आई भारत की याद, कहा- अब सिर्फ इंडिया फर्स्ट नीति पर ही चलेंगे

punjabkesari.in Thursday, Aug 27, 2020 - 10:19 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः श्रीलंका समझ गया चीन की चाल, बोला- ड्रैगन संग डील गलती, अब भारत पहले की नीति बीजिंगः चीन की साजिशों के जाल में फंसे श्रीलंका को भारत के साथ अपने रिश्तों का महत्व समझ आने लगा है। दरअसल चीन की चालबाजियों में फंसकर काफी नुकसान उठा चुके श्रीलंका को यह बात समझ में आ गई है ड्रैगन के साथ पोर्ट डील उसकी बड़ी गलती थी। इतना ही नहीं पड़ोसी देश ने अब भारत के साथ अपने रिश्ते अधिक प्रगाढ़ करने पर जोर दिया है और यह भी कहा है कि आगे से वह इंडिया फर्स्ट की नीति पर ही चलेगा ।

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श्रीलंका के विदेश सचिव जयनाथ कोलंबेज ने कहा है कि श्रीलंका एक तटस्थ विदेश नीति को आगे बढ़ाना चाहता है, लेकिन रणनीतिक और सुरक्षा मामलों में 'इंडिया फर्स्ट' दृष्टिकोण को बनाए रखेगा।  श्रीलंका के एक टीवी चैनल से बात करते हुए कोलंबेज ने कहा, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने कहा है कि रणनीतिक सुरक्षा के संदर्भ में, हम 'इंडिया फर्स्ट' नीति का पालन करेंगे। हम भारत के लिए एक रणनीतिक सुरक्षा खतरा नहीं बन सकते हैं और हमें होना भी नहीं चाहिए।  उन्होंने कहा, हमें भारत से लाभान्वित होने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आप हमारी पहली प्राथमिकता हैं जहां तक सुरक्षा का सवाल है लेकिन मुझे आर्थिक समृद्धि के लिए अन्य देशों के साथ बेहतर रिश्ते बनाने होंगे।

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इस बीच, दक्षिण एशिया मामलों के जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में नेपाल, बांग्लादेश जैसे देशों को भी इसी तरह पछतावा हो सकता है, जो अभी चीन के साथ चहक रहे हैं। कोलोमबाजे ने कहा है कि तटस्थ विदेश नीति के साथ श्रीलंका भारत के रणनीतिक हित की रक्षा करेगा। इस दौरान उन्होंने एक और बड़ी बात कही और स्वीकार किया कि हम्बनटोटा बंदरगाह को 99 साल के लिए चीन को लीज पर देना गलती थी।

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राजपक्षे की चुनाव में जीत के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में अपने समकक्ष गुनाववर्धने से बात की थी। गृह युद्ध के दौरान विवादित रक्षा सचिव रहे 70 वर्षीय गोटबाया राजपक्षे की जीत भारत के लिए विशेष मायने रखती है क्योंकि भारत को उम्मीद है कि कोलंबो का नया प्रशासन नई दिल्ली के रणनीतिक हितों के खिलाफ विदेशी शक्ति को अनुमति नहीं देगा। दशकों तक श्रीलंका के वैश्विक शक्तियों से राजनयिक संबंधों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों को  भरोसा है कि गोटबाया क्षेत्र में अमेरिकी हितों के अधिक खिलाफ कोई नीति नहीं अपनाएंगे।


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Tanuja

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