ऑफ द रिकॉर्डः कोल सचिव को क्यों हटाया मोदी ने

punjabkesari.in Wednesday, Sep 25, 2019 - 03:38 AM (IST)

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री मोदी अचानक ही बिना किसी अंदेशे के नौकरशाहों को बाहर करने के लिए जाने जाते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने अपनी पहली पारी की शुरूआत वित्त सचिव को बाहर का रास्ता दिखाकर की। उन्होंने उसे अल्पसंख्यक मंत्रालय में सचिव की कुर्सी पर बिठा दिया। उसके बाद से सचिव स्तर के करीब 20 अधिकारी किसी न किसी प्रोजैक्ट की प्रैजैंटेशन या जरूरी फाइलें देने के लिए पी.एम. से मिले लेकिन एक दिन सुबह मुख्य सचिव ने उन्हें यह आदेश सुना दिया कि अब आप सबको वर्तमान पदों से हटा दिया गया है। 

मजे की बात यह है कि उनमें से कुछ को तो कई महीने तक दूसरी नियुक्ति तक नहीं दी गई। कोल सैक्टर में मंदी के चलते पी.एम. के अधीन आने वाले कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग ने कोल सचिव सुमंता चौधरी का बोरिया बिस्तर गोल करने को कह दिया। चौधरी 1985 बैच की पश्चिमी बंगाल कैडर की आई.ए.एस. अधिकारी हैं। अब उनके स्थान पर 1986 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के अधिकारी अनिल कुमार जैन को नियुक्त किया गया है। नौकरशाही में हो रहे फेरबदल के कारणों संबंधी यहां तक कि वरिष्ठ अधिकारी भी अनभिज्ञ हैं। 

नए कोल सचिव के रूप में हाल ही में नियुक्त होने वाले जैन भी सुमंत की नई नियुक्ति पर चुप्पी साधे हुए हैं। चौधरी को हटाने का फैसला भी ऐसे समय आया जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री शाह व मोदी से मिलने के लिए दिल्ली आई थीं। ऐसी आशा की जा रही थी कि दीदी चौधरी को कुछ ही दिनों में सेवानिवृत्त हो रहे राज्य के मुख्य सचिव कुमार डे की जगह नियुक्त करने की इच्छुक हैं लेकिन पश्चिम बंगाल के कई वरिष्ठ अधिकारी मानते हैं कि न तो दीदी और न ही चौधरी इस पोस्ट के लिए इच्छुक हैं। चौधरी 9 महीने से कोल सचिव के पद पर कार्यरत थीं। चूंकि इस महीने 4 सचिव सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार को बदले परिवेश में इनकी जगह सही अधिकारी ढूंढने के लिए अतिरिक्त श्रम की जरूरत पड़ेगी। 


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Pardeep

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