रेलवे किराया बढ़ने के पीछे का कड़वा सच! सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि ये 5 मजबूरियां हैं मुख्य वजह
punjabkesari.in Sunday, Dec 21, 2025 - 01:49 PM (IST)
नेशनल डेस्क : रेलवे द्वारा समय-समय पर किराए में किए जाने वाले बदलावों को लेकर अक्सर यात्रियों के मन में सवाल उठता है कि आखिर किराया क्यों बढ़ाया जाता है। भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, और इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए भारी-भरकम बजट की आवश्यकता होती है।
1. संचालन लागत में भारी वृद्धि
रेलवे को चलाने की लागत हर साल बढ़ती जा रही है। इसमें ईंधन (ईंधन और बिजली), डिब्बों का रखरखाव और स्टेशनों का आधुनिकीकरण शामिल है। वित्त वर्ष 2024-25 में रेलवे के संचालन की कुल लागत 2.63 लाख करोड़ रुपये को पार कर चुकी है। जब संचालन खर्च बढ़ता है, तो बजट को संतुलित करने के लिए किराए में मामूली एडजस्टमेंट जरूरी हो जाता है।
2. मैनपावर और पेंशन का बोझ
भारतीय रेलवे देश के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है। वर्तमान में रेलवे का मैनपावर खर्च (कर्मचारियों का वेतन और भत्ते) लगभग 1.15 लाख करोड़ रुपये है। इसके अलावा, सेवामुक्त कर्मचारियों की पेंशन का बोझ भी 60,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सातवें वेतन आयोग और बढ़ते महंगाई भत्ते (DA) के कारण यह खर्च लगातार बढ़ रहा है, जिसकी भरपाई के लिए राजस्व बढ़ाना अनिवार्य हो जाता है।
3. सुरक्षा और आधुनिकीकरण
यात्रियों की सुरक्षा रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पुराने ट्रैक बदलना, आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम (जैसे 'कवच') लगाना और ट्रेनों में सुरक्षा उपकरण बढ़ाना एक खर्चीली प्रक्रिया है। इसके अलावा, स्टेशनों को 'अमृत भारत स्टेशन' योजना के तहत वर्ल्ड क्लास बनाने और ट्रेनों में बायो-टॉयलेट, वाई-फाई और बेहतर सुविधाओं के लिए भी भारी निवेश की जरूरत होती है।
4. सब्सिडी का बड़ा बोझ
शायद कम ही लोग जानते हैं कि भारतीय रेलवे हर यात्री टिकट पर लगभग 40% से 50% की सब्सिडी देता है। यानी अगर किसी टिकट की लागत 100 रुपये आती है, तो रेलवे यात्री से केवल 50-60 रुपये ही लेता है। बुजुर्गों, मरीजों और छात्रों को दी जाने वाली रियायतों के कारण रेलवे को सालाना हजारों करोड़ रुपये का घाटा होता है। इस घाटे को कम करने के लिए रेलवे समय-समय पर किराये का 'युक्तिकरण' (Rationalisation) करता है।
5. माल ढुलाई पर निर्भरता कम करना
अब तक रेलवे अपने यात्री घाटे की भरपाई माल ढुलाई (कार्गो) से होने वाली कमाई से करता रहा है। लेकिन सड़क परिवहन के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण, रेलवे अब माल ढुलाई के रेट ज्यादा नहीं बढ़ा सकता। ऐसे में अपनी वित्तीय स्थिति को स्वतंत्र और मजबूत बनाने के लिए यात्री किराये में थोड़ी बढ़ोतरी करना रेलवे की मजबूरी बन जाती है।
