19 मिनट के बाद अब सामने आया 5 मिनट 39 सेकंड का VIDEO, मचा बवाल, जानें क्या सच में AI से बना है?
punjabkesari.in Wednesday, Dec 17, 2025 - 10:53 AM (IST)
नेशनल डेस्क। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तीन अलग-अलग वायरल वीडियो क्लिप्स—'5 मिनट 39 सेकंड', '19 मिनट' और '40 मिनट'—लगातार चर्चा का विषय बनी हुई हैं। इन क्लिप्स को लेकर यूज़र्स के बीच गुस्सा, भ्रम और जिज्ञासा तीनों देखने को मिल रहे हैं। सबसे बड़ा और गंभीर सवाल यही है कि क्या ये वीडियो असली (Authentic) हैं या फिर AI डीपफेक टेक्नोलॉजी (AI Deepfake Technology) का खतरनाक इस्तेमाल? विशेषज्ञों का कहना है कि बिना आधिकारिक पुष्टि किए किसी भी वायरल वीडियो को देखना या शेयर करना न सिर्फ अनैतिक है बल्कि यह कानूनन अपराध भी हो सकता है।
वायरल वीडियो और उनसे जुड़े विवाद
1. 5 मिनट 39 सेकंड का वीडियो
सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहे 5 मिनट 39 सेकंड के इस वीडियो को लेकर बेहद गंभीर और संवेदनशील आरोप लगाए जा रहे हैं। इस वीडियो की अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि (Official Verification) नहीं हुई है। कई सोशल मीडिया यूज़र्स और डिजिटल सेफ्टी एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह AI डीपफेक वीडियो हो सकता है जिसे जानबूझकर लोगों को भड़काने के लिए फैलाया गया है। यही वजह है कि पुलिस और साइबर सेल लगातार लोगों से अपील कर रहे हैं कि बिना वेरिफिकेशन ऐसे संवेदनशील कंटेंट को न देखें और न ही शेयर करें।
2. 19 मिनट का वायरल वीडियो
19 मिनट का वायरल वीडियो बंगाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर सोफिक एसके (Sofik SK) से जुड़ा बताया जा रहा है। यह कथित तौर पर एक लीक्ड प्राइवेट वीडियो था जिसके बाद इंटरनेट पर भारी हंगामा मच गया। वीडियो वायरल होने के बाद सोफिक एसके और उनकी गर्लफ्रेंड दोनों ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी भी मांगी।
दिलचस्प बात यह रही कि इस बड़े विवाद के बाद भी सोफिक एसके के Instagram फॉलोअर्स तेज़ी से बढ़कर 5.36 लाख (536K) तक पहुंच गए जो सोशल मीडिया के अजीब ट्रेंड और नकारात्मक (Negative) वायरल होने पर भी सवाल खड़े करता है।
3. 40 मिनट का वायरल वीडियो
40 मिनट का वायरल वीडियो भी इन दिनों खूब शेयर किया जा रहा है। इस वीडियो की असामान्य लंबाई के कारण कई लोग इसे असली मानने लगे। डिजिटल एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हैं कि वीडियो की लंबाई (Length) कभी भी उसकी सच्चाई का प्रमाण नहीं हो सकती खासकर AI-generated content के इस दौर में।
AI डीपफेक: युवाओं पर खतरनाक असर
आज AI डीपफेक टेक्नोलॉजी युवाओं के लिए एक गंभीर ख़तरा बनती जा रही है। कुछ तस्वीरों या छोटे क्लिप्स के ज़रिए किसी का चेहरा या आवाज़ बदलकर फेक वीडियो बनाए जा सकते हैं जो मिनटों में वायरल हो जाते हैं। ऐसे मामलों में पीड़ितों को ऑनलाइन ट्रोलिंग, साइबर बुलिंग (Cyber Bullying), मानसिक तनाव, एंग्जायटी और सामाजिक बदनामी का सामना करना पड़ता है। कई बार इसका असर उनके करियर और निजी जीवन तक पर पड़ता है।
डिजिटल ज़िम्मेदारी और बचाव
यह मामला सिर्फ वायरल वीडियो का नहीं बल्कि डिजिटल ज़िम्मेदारी (Digital Responsibility), प्राइवेसी और AI दुरुपयोग (AI Misuse) का भी है। आज जब कोई भी वीडियो मिनटों में वायरल हो सकता है तब सच और झूठ के बीच फर्क करना पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है। वायरल वीडियो और AI डीपफेक के इस दौर में हर यूज़र की ज़िम्मेदारी है कि वह बिना पुष्टि किए किसी भी संवेदनशील कंटेंट को शेयर न करे।
जागरूकता, डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) और कानूनी समझ ही इस खतरे से बचने का सबसे बड़ा हथियार है।
