क्या कान की मैल से भी हो जाती है DNA की पहचान, जानें कौन-कौन से लिए जाते हैं सैंपल, हैरान कर देगा ये सच!

punjabkesari.in Thursday, Nov 13, 2025 - 01:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क। दिल्ली के लाल किला के पास हुए कार विस्फोट मामले में एक बड़ा और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों ने पुष्टि कर दी है कि धमाके में मारा गया व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा डॉक्टर उमर मोहम्मद था। विस्फोट की तीव्रता इतनी ज़्यादा थी कि कार में सवार उमर मोहम्मद के शरीर के टुकड़े बुरी तरह जल चुके थे जिसके कारण शुरुआती पहचान करना बेहद मुश्किल हो गया था। अब DNA फोरेंसिक रिपोर्ट ने सारे राज़ खोल दिए हैं।

 

मां के सैंपल से हुआ आतंकी का डीएनए मैच

पुलिस के अनुसार लाल किला ब्लास्ट साइट से एकत्रित किए गए जैविक नमूनों की फोरेंसिक जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि कार चला रहा व्यक्ति डॉ. उमर मोहम्मद ही था। उमर की मां के डीएनए सैंपल मंगलवार को पुलवामा से लिए गए थे। इन्हें दिल्ली लाकर विस्फोट स्थल से मिले जले हुए अवशेषों और शरीर के टुकड़ों से मिलाया गया। दोनों सैंपल पूरी तरह मेल खा गए हैं जिससे यह पुष्टि हो गई कि धमाके में मारा गया शख्स वही था। इस डीएनए मिलान ने सभी शंकाओं को समाप्त कर दिया है।

 

यह भी पढ़ें: Weight Loss Injection: अगर आप भी हैं मोटापे से परेशान तो चिंता छोड़िए! भारत में सस्ता हुआ इंजेक्शन, हर हफ्ते की डोज का खर्च सिर्फ...

 

क्या कान का मैल भी बन सकता है पहचान का आधार?

इस मामले में भले ही पारंपरिक डीएनए स्रोतों का उपयोग हुआ हो, लेकिन इस घटना ने फोरेंसिक विज्ञान में एक दिलचस्प पहलू पर बहस छेड़ दी है। क्या कान का मैल (Earwax) भी किसी की पहचान बताने में मदद कर सकता है? फॉरेंसिक विशेषज्ञ अब कान के मैल को संभावित डीएनए सैंपल स्रोत के रूप में देखने लगे हैं। अक्सर नज़रअंदाज़ किए जाने वाले इस पदार्थ में कोशिकाएं होती हैं जिनमें न्यूक्लियर (Nuclear) और माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA) दोनों मौजूद हो सकते हैं।

 

कान के मैल से डीएनए लेने की प्रक्रिया

फॉरेंसिक विशेषज्ञ बताते हैं कि कान के मैल से डीएनए निकालने की प्रक्रिया अन्य नमूनों के समान ही होती है:

  1. सुरक्षित संग्रहण: सबसे पहले सैंपल को सुरक्षित तरीके से इकट्ठा किया जाता है।

  2. निष्कर्षण और परीक्षण: इसके बाद प्रयोगशाला में डीएनए एक्सट्रैक्शन और प्राथमिक परीक्षण किए जाते हैं।

  3. मिलान: अंत में STR प्रोफाइलिंग या माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए अनुक्रमण का उपयोग करके मिलान किया जाता है।

  4. सफलता दर: कुछ शोधों में कान के मैल से टेस्ट की सफलता दर लगभग 80% तक बताई गई है हालांकि यह नमूने की शुद्धता और उम्र पर निर्भर करती है।

 

यह भी पढ़ें: चेस्ट क्लीनिक बनाएं, डॉक्टर दो घंटे जरूर रहें मौजूद, वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र ने दिया राज्यों को आदेश

 

डीएनए के अन्य विश्वसनीय स्रोत

हालांकि कान का मैल एक गैर-आक्रामक स्रोत है पर इसकी सीमाएं भी हैं (जैसे दूषित या डीग्रेड होने का खतरा)। गंभीर विस्फोट जैसी घटनाओं में जहां नमूने जल जाते हैं, जांच एजेंसियां अक्सर निम्नलिखित अधिक विश्वसनीय स्रोतों का उपयोग करती हैं:

  • अस्थि (Bone)

  • दाँत (Teeth)

  • नाखून (Nails)

  • रक्त (Blood)

  • लार (Saliva)

  • त्वचा के स्वैब (Skin Swabs)

  • बालों की जड़ें (Hair Roots)

आतंकी डॉ. उमर मोहम्मद की पहचान सुनिश्चित करने में जले हुए अवशेषों के बावजूद डीएनए प्रौद्योगिकी ने अंततः सफलता दिलाई है जो जटिल मामलों को सुलझाने में फोरेंसिक विज्ञान के बढ़ते महत्व को दर्शाती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Rohini Oberoi

Related News