Amazing Facts Related to Cricket: क्रिकेट में राष्ट्रगान के वक्त बच्चों को क्यों लाया जाता है? वजह जानकर हो जाएंगे हैरान
punjabkesari.in Friday, Mar 07, 2025 - 08:41 PM (IST)

खेल डेस्क: क्रिकेट मैच शुरू होने से पहले राष्ट्रगान के दौरान आपने कई बार देखा होगा कि खिलाड़ियों के साथ छोटे-छोटे बच्चे मैदान पर मौजूद होते हैं। यह नजारा भावनात्मक भी होता है और लोगों के मन में यह सवाल भी उठता है कि आखिर खिलाड़ियों के साथ इन बच्चों को क्यों लाया जाता है? क्या यह सिर्फ एक परंपरा है या इसके पीछे कोई महत्वपूर्ण वजह है? अगर आप भी इस बारे में नहीं जानते हैं तो हम आपको इस परंपरा के पीछे की असली वजह बताएंगे।
अनाथ और असहाय बच्चों के लिए चैरिटी
मैच के दौरान मैदान पर मौजूद ये बच्चे किसी न किसी एनजीओ से जुड़े होते हैं। अधिकतर बच्चे अनाथालय या किसी समाजसेवी संस्था के माध्यम से वहां पहुंचते हैं। इन बच्चों को मैदान पर लाने के पीछे मुख्य उद्देश्य होता है उनकी पहचान को बढ़ावा देना और समाज में उनके प्रति संवेदनशीलता जगाना। कई बार बड़े क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान विभिन्न फाउंडेशन और स्पॉन्सर इन बच्चों की मदद के लिए चैरिटी भी जुटाते हैं, जिससे इन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य जरूरी सुविधाएं दी जा सकें।
खेल भावना और समानता का संदेश
खेल को केवल प्रतिस्पर्धा नहीं बल्कि सौहार्द्र, एकता और खेल भावना का प्रतीक माना जाता है। बच्चे निष्पाप होते हैं और उनके मन में किसी तरह की ईर्ष्या या द्वेष नहीं होता। जब ये बच्चे खिलाड़ियों के साथ खड़े होते हैं तो यह एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि खेल में केवल जीत-हार मायने नहीं रखती बल्कि खेल भावना और एकजुटता अधिक महत्वपूर्ण होती है। यह परंपरा खिलाड़ियों को याद दिलाती है कि वे भी कभी एक बच्चे की तरह थे और खेल में सम्मान व ईमानदारी बनाए रखना जरूरी है।
युवाओं को खेल के प्रति प्रेरित करना
बच्चों को मैदान पर लाने का एक और बड़ा कारण यह भी है कि इससे उन्हें खेल के प्रति रुचि बढ़ाने का मौका मिलता है। जब छोटे बच्चे अपने पसंदीदा क्रिकेटर्स के साथ खड़े होते हैं तो यह उनके लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण होता है। इससे उनमें खेल के प्रति प्यार और जुनून पैदा होता है और भविष्य में वे भी अच्छे खिलाड़ी बनने के लिए प्रेरित होते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाई गई परंपरा
राष्ट्रगान के समय खिलाड़ियों के साथ बच्चों को मैदान पर लाने की परंपरा सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है। फुटबॉल, हॉकी और कई अन्य खेलों में भी यह परंपरा अपनाई जाती है। खासकर फीफा वर्ल्ड कप में यह परंपरा बहुत लोकप्रिय है। यह पूरी दुनिया में खेल के सम्मान और समानता का संदेश देता है।
कई बार इन बच्चों की टी-शर्ट पर कोई खास संदेश या अभियान लिखा होता है, जिससे किसी सामाजिक मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाई जाती है। उदाहरण के लिए, कैंसर से जूझ रहे बच्चों को प्रेरित करने, बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाने या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इस मंच का उपयोग किया जाता है।