Rehman Dakait: धुरंधर फिल्म और रहमान डकैत! जिसके नाम से कांपता था पूरा कराची, खौफ और मसीहा के बीच की वो असली कहानी, जिसे सुनकर...

punjabkesari.in Thursday, Dec 18, 2025 - 09:15 AM (IST)

Rehman Dakait: आदित्य धर की फिल्म धुरंधर (Dhurandar) इन दिनों हर तरफ चर्चा का विषय बनी हुई है। फिल्म में रणवीर सिंह के किरदार 'हमजा' की तारीफ तो हो रही है लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे हैं अक्षय खन्ना जिन्होंने रहमान डकैत का खतरनाक रोल निभाया है। फिल्म में 'शेर-ए-बलोच' गाने पर उनकी एंट्री का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि पर्दे पर दिखने वाला यह रहमान डकैत असल जिंदगी में कितना खतरनाक था? आइए जानते हैं कराची के उस गैंगस्टर की पूरी कहानी।

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लयारी: फुटबॉल के मैदान से गैंगवार के गढ़ तक

रहमान डकैत का जन्म कराची के लयारी (Lyari) इलाके में हुआ था। एक समय था जब लयारी अपने बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए जाना जाता था लेकिन 90 के दशक के आसपास यहां खेलों की जगह नशीले पदार्थों और हथियारों ने ले ली। सबसे पहले यहां बाबू डकैत यानी इकबाल का राज था जो पढ़ा-लिखा गैंगस्टर था। इकबाल की मौत के बाद जो खालीपन आया उसे भरने के लिए उभरा रहमान बलोच उर्फ रहमान डकैत।

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13 साल की उम्र में मां का कत्ल: खौफ की शुरुआत

रहमान डकैत की बेरहमी की दास्तान उसके बचपन से ही शुरू हो गई थी। महज 13 साल की उम्र में रहमान ने अपनी सगी मां की हत्या कर दी और उनके शव को पंखे से लटका दिया। उसे शक था कि उसकी मां का किसी के साथ अफेयर है। इस घटना के बाद पूरे इलाके में उसका ऐसा खौफ फैला कि लोगों ने मान लिया—"जो अपनी मां का नहीं हुआ वह किसी का नहीं हो सकता।"

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अपराधी या मसीहा? विरोधाभासों से भरी जिंदगी

रहमान डकैत के व्यक्तित्व के दो पहलू थे जिसने उसे एक 'रॉबिन हुड' जैसी छवि दी। कई लोग उसे भगवान मानते थे क्योंकि वह गरीब लड़कियों की शादियां करवाता था और लोगों के मुफ्त इलाज का खर्चा उठाता था। उसके इलाके में चोरी और सरेआम ड्रग्स बेचने की सख्त मनाही थी। नियम तोड़ने वालों को वह सीधा मौत की सजा देता था। 2007 में कराची एयरपोर्ट पर हुए बम धमाके के बाद रहमान डकैत ने ही खुद गाड़ी चलाकर बेनजीर भुट्टो को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया था।

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दुश्मनी और खूनी जंग: रहमान बनाम अरशद पप्पू

रहमान जैसे-जैसे ताकतवर हुआ उसके दुश्मन भी बढ़ते गए। उसका सबसे बड़ा दुश्मन था अरशद पप्पू (हाजी लालू का बेटा)। दुश्मनी इस हद तक बढ़ गई थी कि अरशद पप्पू ने कब्रिस्तान जाकर रहमान के पिता की कब्र तक तोड़ दी थी और उसके चाचा को सरेआम गोलियों से भून दिया था।

अंत: SP चौधरी असलम का 'स्पेशल ऑपरेशन'

रहमान के आतंक को खत्म करने का जिम्मा पाकिस्तान के जांबाज पुलिस अधिकारी SP चौधरी असलम को सौंपा गया। 2006 में चौधरी असलम ने रहमान को जेल भेजा लेकिन कहा जाता है कि वह 5 करोड़ की भारी रिश्वत देकर बाहर आ गया। आखिरकार 2009 में चौधरी असलम का मिशन कामयाब हुआ। एक 5 घंटे लंबे गुप्त ऑपरेशन के बाद रहमान डकैत का एनकाउंटर कर दिया गया और लयारी के एक खौफनाक अध्याय का अंत हुआ।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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