कौन होते हैं एल्डरमैन और क्या होती हैं इसकी शक्तियां ? पढ़ें पूरी खबर
punjabkesari.in Monday, Aug 05, 2024 - 08:08 PM (IST)
नई दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल अब दिल्ली नगर निगम (MCD) में 10 एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की एक तीन जजों की बेंच ने, जिसकी अध्यक्षता Chief Justice of India (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने की, यह निर्णय सुनाया है कि उपराज्यपाल को MCD में 10 एल्डरमैन की नियुक्ति करने का अधिकार है और इसके लिए उन्हें निर्वाचित सरकार से सलाह और सहमति लेने की आवश्यकता नहीं है।इस फैसले पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने गहरा असंतोष व्यक्त किया है। पार्टी का कहना है कि यह निर्णय भारत के लोकतंत्र के लिए एक बड़ा झटका है। AAP का मानना है कि उपराज्यपाल को एल्डरमैन की नियुक्ति करने का अधिकार देने से निर्वाचित सरकार की भूमिका और उनके अधिकारों को कमजोर किया जा रहा है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सकता है।
कौन होते हैं एल्डरमैन
एल्डरमैन (Alderman) नगर निगमों के एक विशेष प्रकार के पदाधिकारी होते हैं जो स्थानीय सरकार की कार्यप्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दिल्ली में नगर निगम (MCD) में 10 पार्षदों को नियुक्त किया जाता है जिसे एल्डरमैन कहा जाता है। सामान्यत: पिछले कुछ वर्षों से, जबकि उपराज्यपाल ही एल्डरमैन की नियुक्ति करते हैं, इन नामों की सिफारिश निर्वाचित सरकार द्वारा की जाती रही है। हालांकि, जनवरी 2023 में उपराज्यपाल ने बिना निर्वाचित सरकार की सलाह के सीधे तौर पर 10 एल्डरमैन की नियुक्ति कर दी।
नियुक्ति का मामला SC पहुंचा
इस निर्णय ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। आम आदमी पार्टी (AAP) का आरोप है कि उपराज्यपाल द्वारा किए गए एल्डरमैन के मनोनयन ने उनके लिए नुकसानदेह साबित हुआ। दरअसल, ये 10 एल्डरमैन कुछ विशेष जोनों में मनोनीत किए गए थे। इससे परिणाम स्वरूप, आम आदमी पार्टी जिन 8 जोनों में पहले आगे चल रही थी, अब सिर्फ 6 जोनों में आगे रही। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) जिन 4 जोनों में पहले आगे थी, अब वह 5 जोनों में आगे हो गई, और एक जोन में मुकाबला बराबरी पर आ गया।
इस प्रकार, उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत किए गए एल्डरमैन ने सीधे तौर पर भाजपा को लाभ पहुँचाया, जिससे आम आदमी पार्टी की स्थिति कमजोर हुई। इस स्थिति ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया और उपराज्यपाल की नियुक्तियों की प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे।
एल्डरमैन की शक्तियां
दिल्ली नगर निगम (MCD) में एल्डरमैन को स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य बनने का अवसर मिलता है। स्टैंडिंग कमिटी नगर निगम की सबसे महत्वपूर्ण समितियों में से एक है, जो बजट, विकास योजनाओं और अन्य महत्वपूर्ण नीतियों पर निर्णय लेती है। यदि आम आदमी पार्टी (AAP) स्टैंडिंग कमिटी में अपनी स्थिति मजबूत नहीं कर पाती, तो इसका सीधा असर उनकी कार्यक्षमता पर पड़ेगा। इसके कारण, चुनाव जीतने के बावजूद पार्टी को प्रशासन में महत्वपूर्ण निर्णय लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
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मेयर के चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं होता...
एल्डरमैन के पास मेयर के चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं होता है, लेकिन वे वार्ड समितियों के सदस्यों के रूप में MCD के 12 जोन में से प्रत्येक के लिए एक प्रतिनिधि चुनने में मतदान का अधिकार रखते हैं। इस प्रकार, यदि एल्डरमैन के मतदान अधिकारों की बात की जाए, तो वे नगर निगम के सामान्य पार्षदों की तरह काम करते हैं, केवल मेयर के चुनाव में उनकी भागीदारी नहीं होती है। इस व्यवस्था के तहत, भले ही एल्डरमैन की भूमिका एक पार्षद के समान होती है, लेकिन उनका वोट मेयर के चुनाव में शामिल नहीं होता, जिससे उनकी राजनीतिक भूमिका और प्रभाव की सीमा सीमित हो जाती है। यदि स्टैंडिंग कमिटी में उनकी संख्या पर्याप्त नहीं है, तो इससे पार्टी के लिए कई अहम फैसले और योजनाओं को लागू करने में मुश्किल हो सकती है।
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नामांकित सदस्य: अधिकांश नगर निगमों में एल्डरमैनों की नियुक्ति निर्वाचित प्रतिनिधियों के बजाय नामांकित की जाती है। उनका चुनाव आमतौर पर जनता द्वारा नहीं किया जाता है, बल्कि किसी उच्च पदस्थ अधिकारी या प्रशासन द्वारा किया जाता है।
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विशेष कार्य: एल्डरमैन अक्सर विशेष कार्यों या जिम्मेदारियों को निभाते हैं, जैसे कि समितियों का नेतृत्व, सलाहकार भूमिका, या नगर निगम के प्रशासनिक कामकाज में मदद करना।
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संपूर्ण नगर निगम का प्रतिनिधित्व: वे नगर निगम की कार्यप्रणाली में भाग लेते हैं और निगम की नीतियों, निर्णयों और बजट पर चर्चा और मतदान करते हैं।
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सामान्य प्रशासन: कुछ स्थानों पर, एल्डरमैन स्थानीय प्रशासन के सामान्य कामकाज, विकास परियोजनाओं और सामुदायिक मुद्दों पर भी ध्यान देते हैं।
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विशेष प्रतिनिधि: एल्डरमैन की नियुक्ति का उद्देश्य नगर निगम के कार्यक्षेत्र में विशेष विशेषज्ञता और विविधता लाना होता है, जिससे कि स्थानीय मुद्दों पर बेहतर निर्णय लिया जा सके।