Independence Day: जब PM Modi ने लालकिले से UCC का किया जिक्र, वायरल हो गया CJI चंद्रचूड़ का रिएक्शन
punjabkesari.in Thursday, Aug 15, 2024 - 08:08 PM (IST)
नई दिल्लीः देश स्वतंत्रता का 78वां दिवस बड़े हर्षोउल्लास के साथ मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूवार को लगातार 11वीं बार लालकिले से झंडा फहराकर एक खास उपलब्धि अपने नाम कर कर ली। वह तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं। जिन्होंने 11वीं बार लालकिले से झंडा फहराया है। वहीं, दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लगातार 11वीं बार झंडा फहराया है। इससे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लगातार 16 बार लालकिले से झंडा फहराया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता को देश की मांग करार देते हुए कहा कि धर्म के आधार पर देश को बांटने वाले कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता। पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और इसके बारे में सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का उल्लेख किया तथा इस विषय पर देश में गंभीर चर्चा की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस नागरिक संहिता को लेकर हम लोग जी रहे हैं, वह सचमुच में साम्प्रदायिक और भेदभाव करने वाली संहिता है। मैं चाहता हूं कि इस पर देश में गंभीर चर्चा हो और हर कोई अपने विचार लेकर आए।''
दौरान विशिष्ट अतिथियों में बैठे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टि ऑफ इंडिया जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी बैठे थे। प्रधानमंत्री जब यूसीसी के मुद्दे पर बोल रहे थे। तब चंद्रचूड़ की एक झलक सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इस दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का जिक्र होने पर मुस्कराने लगे। कैमरापर्सन ने उनकी इस झलक को कैमरे में कैद कर लिया।
@narendramodi spoke about Secular Civil Code frm Red Fort,which means #UCC is sure to come in this term.Supreme Court&many others are in trouble...
— Mahesh Bhatt (@MaheshBhatt2016) August 15, 2024
See the timing of cameraman to show CJI Chandrachud 😂
Looks like it hurt Chandrachud &Mrs Chandrachud completely agrees🤣 pic.twitter.com/7AWosvBt4A
वहीं, मोदी ने कहा कि देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटने वाले और असमानता की वजह बनने वाले कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि यह देश की मांग है कि भारत में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता होनी चाहिए। हम सांप्रदायिक नागरिक संहिता के साथ 75 साल जी चुके हैं। अब हमें धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की ओर बढ़ना होगा। तभी धर्म आधारित भेदभाव खत्म होगा। इससे आम लोगों का अलगाव भी खत्म होगा।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में कई निर्देश दिए हैं। उन्होंने राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के तहत अनुच्छेद 44 का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान की भावना भी इस तरह की संहिता को प्रोत्साहित करती है। इसमें कहा गया है कि नागरिकों के लिए भारत के पूरे क्षेत्र में एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करना राष्ट्र का कर्तव्य है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संविधान निर्माताओं के सपने को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है। मेरा मानना है कि इस विषय पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए।''