जब मोदी ने साथी मंत्रियों की लगवाई दौड़

punjabkesari.in Thursday, Apr 05, 2018 - 09:13 AM (IST)

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में एक विशेष समर्थता है कि वह अपने साथी मंत्रियों को किसी समय भी हैरान-परेशान कर सकते हैं। मंत्रिमंडल की एक ताजा बैठक में उन्होंने साथी मंत्रियों को पूछा कि क्या उनको अपने-अपने विभागों के अधीन काम करती प्रिंटिंग प्रैसों के बारे में जानकारी है। किसी भी मंत्री को यह समझ नहीं लगी कि प्रधानमंत्री ने यह सवाल क्यों पूछा है। किसी के पास इसका तुरंत उत्तर नहीं था। मंत्रियों को तो यह भी पता नहीं था कि उनके मंत्रालय के अधीन कोई प्रिंटिंग प्रैस काम करती भी है या नहीं। मोदी ने हिदायत की कि एक हफ्ते के अंदर उनके दफ्तर को इस संबंध में सारी जानकारी उपलब्ध करवाई जाए। इस पर मंत्रियों में दौड़ लग गई और 24 घंटों के अंदर ही उन्होंने प्रधानमंत्री दफ्तर को जवाब भेज दिए।

मोदी चाहते थे कि सभी प्रिंटिंग प्रणाली को इकट्ठा करके आधुनिक बनाया जाए। यह पता चला है कि इस समय गवर्नमैंट ऑफ इंडिया प्रैस की गिनती 17 है जिनमें 3 टैक्स्ट बुक प्रैसें भी हैं। ये 3 प्रैसें मैसूर, चंडीगढ़ और भुवनेश्वर में हैं। किसी भी मंत्री को इन प्रैसों की कार्यप्रणाली और नतीजों के बारे में जानकारी नहीं थी। प्रधानमंत्री कार्यालय बाहरी एजैंसियों को ज्यादा कीमत पर काम दिए जाने के कारण चिंतित है। यह हिदायत की गई कि सभी मंत्रालय अपनी-अपनी प्रिंटिंग प्रैसों को बंद कर दें और सिर्फ 5 नई आधुनिक प्रैसों को ही चलता रखा जाए। रेल मंत्री पीयूष गोयल को उनके मंत्रालयों के अधीन चलती 14 प्रिंटिंग प्रैसों का पूरा काम देखने के लिए फ्री हैंड दिया गया।

गोयल ने ऐलान किया कि उनके मंत्रालय के अधीन आती सभी प्रिंटिंग प्रैसों को बंद कर दिया जाएगा। इस पर कर्मचारियों की 2 बड़ी यूनियनों ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया और कहा कि यह कदम महंगी जमीन को प्राइवेट हाथों में देने की चाल है, साथ ही यह व्यापारिक शोषण भी है। पीयूष गोयल ने यूनियनों को बड़ी मुश्किल से समझाया कि किसी भी कर्मचारी की नौकरी को खतरा नहीं होगा। मौजूदा सदी डिजीटल सेवाओं की है और पेपर वर्क कम हो रहा है जिस कारण प्रिंटिंग के काम में भी कमी आई है। उन्होंने कहा कि मुलाजिमों को नया प्रशिक्षण देकर एडजस्ट किया जाएगा। आजकल मोदी हर मामले की गहराई में जाते हैं और मंत्रियों को अपने बॉस को खुश रखने के लिए सब कुछ करना पड़ता है।


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Seema Sharma

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