भारत में जानवरों के साथ गंदा काम करने वालों को होती है सख्त सजा, जानिए इसपर क्या कहता है कानून?
punjabkesari.in Friday, May 30, 2025 - 03:45 PM (IST)

नेशनल डेस्क। जानवर बोल नहीं सकते अपनी तकलीफ़ बता नहीं सकते। इसी लाचारी का फायदा कुछ लोग बेहद घिनौने तरीके से उठाते हैं और जानवरों के साथ यौन शोषण यानी 'बेस्टियालिटी' जैसे अपराधों को अंजाम देते हैं। अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या भारत में ऐसे अपराधों के लिए कोई सख्त कानून है? क्या ऐसे अपराधियों को कड़ी सजा मिलती है? आइए जानते हैं कि जानवरों के साथ होने वाले यौन अपराधों को लेकर भारत में क्या कानूनी स्थिति है।
भारत में जानवरों के खिलाफ यौन अपराध की स्थिति
फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन (FIAPO) ने पशुओं के यौन अपराधों और उन पर होने वाली क्रूरता को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की हैं। इन याचिकाओं में संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 48A और 51A(g) का हवाला दिया गया है। इनमें पशुओं को संवेदनशील प्राणी बताते हुए उनके अधिकारों की रक्षा की मांग की गई है।
देश में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाते हैं:
- दिल्ली के शाहदरा में एक व्यक्ति को कई कुत्तों के साथ यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
- दिल्ली के साकेत में एक कुत्ते के निजी अंग में कंडोम मिला था।
- कोयंबटूर में भी एक व्यक्ति को कुत्ते का यौन शोषण करते हुए पकड़ा गया था।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में लोग जानवरों के खिलाफ हुए यौन शोषण को अक्सर तब तक गंभीरता से नहीं लेते जब तक कि इस तरह के मामले में बड़ा सार्वजनिक विरोध न हो।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार साल 2019 से 2022 के बीच लगभग 1 हज़ार मामले धारा-377 में दर्ज हुए थे। हालांकि इनमें से कितने मामले जानवरों के साथ हुए यौन शोषण से जुड़े थे यह बता पाना मुश्किल है।
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भारत में कानून की मौजूदा स्थिति
भारत में वर्तमान समय में जानवरों के यौन शोषण को लेकर कोई कठोर दंड देने वाला विशिष्ट कानून नहीं है।
- ब्रिटिश शासन के दौरान: साल 1860 में IPC धारा-377 के तहत इसे अपराध माना जाता था और ऐसे मामलों में केस दर्ज होते थे।
- 2018 में बदलाव: साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था।
- वर्तमान स्थिति: भारतीय न्याय संहिता के लागू होने के बाद धारा 377 को पूरी तरह से हटा दिया गया है। इस तरह वर्तमान में भारत के अंदर ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत पशुओं के खिलाफ होने वाले यौन शोषण को सीधे तौर पर दर्ज किया जा सके और अपराधियों को कड़ी सजा दी जा सके।
यह हैरान करने वाली बात है कि आज भी पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में अंग्रेजों के जमाने में शुरू किए गए IPC की धारा-377 को लागू किया गया है जिसके तहत ऐसे अपराधों पर कार्रवाई होती है।
भविष्य की उम्मीदें
भारत सरकार ने साल 2022 में पशु क्रूरता कानून में यौन हिंसा की परिभाषा को जोड़ते हुए एक मसौदा तैयार किया था। हालांकि यह मसौदा अभी तक संसद में पेश नहीं किया गया है। पशु अधिकार कार्यकर्ता और आम जनता इस मसौदे के जल्द से जल्द कानून बनने का इंतजार कर रहे हैं ताकि जानवरों को इस अमानवीय क्रूरता से बचाया जा सके और दोषियों को सख्त सजा मिल सके।