राष्ट्रगान के फैसले पर जानिए क्या है विशेषज्ञों की राय

punjabkesari.in Sunday, Dec 04, 2016 - 02:17 PM (IST)

नई दिल्ली : सिनेमाघरों में फिल्मों के प्रदर्शन से पहले राष्ट्रगान की धुन बजाना अनिवार्य किए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर कानून विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया अलग-अलग है।  कुछ विशेषज्ञों ने इसे ‘‘न्यायपालिका का अतिउत्साह’’ बताया है तो कुछ का कहना है कि राष्ट्रगान की धुन बजाने और इसे सम्मान देने से कोई नुक्सान नहीं होगा।

पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा कि अदालतें लोगों को खड़े होने और कुछ करने का आदेश नहीं दे सकती।  वरिष्ठ अधिवक्ता के.टी.एस. तुलसी का कहना है कि न्यायपालिका को उन क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए जो उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते।  वकील एवं नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी को उच्चतम न्यायालय के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है।

उन्होंने कहा कि स्कूलों, सार्वजनिक समारोहों जैसे कई स्थानों पर राष्ट्रगान गाया जाता है। अन्य जगहों पर यह धुन बजाने में क्या नुक्सान है। राष्ट्रगान की धुन बजते समय खड़े हो जाना स्वाभाविक है। तुलसी और वरिष्ठ अधिवक्ता के.के. वेणुगोपाल का मानना है कि यह आदेश केवल कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी करेगा क्योंकि थिएटर मालिकों के लिए लोगों को, खास कर बच्चों को, बूढ़े दर्शकों को और दिव्यांगों को खड़ा करना मुश्किल होगा। 


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News