क्या है Five Eyes, जिससे जस्टिन ट्रूडो भारत के खिलाफ उठाते हैं कदम?

punjabkesari.in Wednesday, Oct 16, 2024 - 12:38 PM (IST)

नेशनल डेस्क: Five Eyes (FVEY) एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय खुफिया सहयोग समूह है, जिसमें दुनिया के पांच शक्तिशाली देश शामिल हैं: अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन। इस समूह का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के समय हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर खुफिया जानकारी का संग्रह और साझा करना है। ये देश अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए विभिन्न प्रकार की निगरानी, जासूसी और गुप्त ऑपरेशनों में संलग्न होते हैं।

Five Eyes का इतिहास
Five Eyes का गठन तब हुआ जब दुनिया द्वितीय विश्व युद्ध के झटकों से गुजर रही थी। ब्रिटिश साम्राज्य की शक्ति कमज़ोर हो रही थी, अमेरिका एक सुपर पावर के रूप में उभर रहा था, और सोवियत रूस की चुनौती ने पश्चिमी देशों में चिंता का माहौल बना दिया था। इन हालात में, पश्चिमी देशों को एक ऐसे संगठन की जरूरत थी, जो वैश्विक स्तर पर उनके दुश्मनों की निगरानी कर सके। 1943 में, अमेरिका और ब्रिटेन ने एक संधि की, जिसे BRUSA (British-US Communications Intelligence Agreement) कहा गया। इस संधि के तहत, दोनों देशों ने सिग्नल इंटेलिजेंस में औपचारिक रूप से सहयोग किया। 1946 में, यह समझौता UKUSA में बदल गया, जिसमें कनाडा 1948 में और ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड 1956 में शामिल हुए। इस प्रकार, Five Eyes का गठन हुआ।

Five Eyes की गतिविधियाँ
Five Eyes का मुख्य कार्य दुनिया भर से खुफिया जानकारी इकट्ठा करना है। ये देश सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) के माध्यम से संचार का निगरानी करते हैं और महत्वपूर्ण जानकारियों का विश्लेषण करते हैं। इसके तहत, ये देश एक-दूसरे के साथ सूचनाओं को साझा करते हैं, जिससे उन्हें अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में मदद मिलती है। इन देशों की जासूसी गतिविधियाँ वैश्विक स्तर पर विवादित रही हैं। कई बार इन पर आरोप लगे हैं कि ये मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। हालांकि, ये देश अपने कार्यों को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर ठहराते हैं। 

कनाडा के पीएम का आरोप
हाल ही में, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि भारत के राजनयिक खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हत्या में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कनाडा ने इस मामले में प्राप्त सभी सूचनाओं को Five Eyes देशों के साथ साझा किया है। ट्रूडो के इस दावे ने भारत-कनाडा संबंधों में तनाव को बढ़ा दिया है। भारत ने इस आरोप को सख्ती से खारिज किया है और कहा है कि ट्रूडो का यह आरोप बिना किसी ठोस सबूत के है। भारतीय सरकार ने कनाडा के छह राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया और अपने उच्चायुक्त को भी वापस बुला लिया।

भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह Five Eyes की दबंगई को बर्दाश्त नहीं करेगा। भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि इस प्रकार के आरोप लगाकर ट्रूडो अपनी घरेलू राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत ने इस स्थिति में स्पष्टता से अपनी संप्रभुता की रक्षा का संकल्प लिया है।

अमेरिका और अन्य देशों की भूमिका
कनाडा में अमेरिकी राजदूत डेविड कोहेन ने बताया कि Five Eyes के सदस्यों के साथ साझा की गई खुफिया सूचनाओं के आधार पर ही कनाडा ने यह दावा किया। इसके अलावा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य Five Eyes देशों ने भी इस मामले पर बयान दिए हैं, लेकिन उनके बयानों में भारत का नाम नहीं लिया गया। न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री ने कहा है कि कनाडा ने उन्हें इस मामले की जानकारी दी है, लेकिन उन्होंने भारत का नाम नहीं लिया। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त ने कहा कि वे इस मामले में भारत के साथ संवेदनशीलता और सावधानी से चर्चा कर रहे हैं। जस्टिन ट्रूडो ने Five Eyes का सहारा लेकर भारत के खिलाफ जो कदम उठाने की कोशिश की है, वह निश्चित रूप से एक राजनीतिक रणनीति है।

भारत ने इस प्रेशर पॉलिटिक्स को ठुकरा दिया है और स्पष्ट रूप से कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में खुफिया सूचनाओं का साझा करना कितना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके दुरुपयोग से उत्पन्न होने वाले विवाद भी गंभीर होते हैं। Five Eyes का यह गठबंधन अपने सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन इसके साथ ही यह अन्य देशों के साथ तनाव भी पैदा कर सकता है। भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि वह ऐसे आरोपों का सामना करेगा और अपनी संप्रभुता की रक्षा करेगा।


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Content Editor

Mahima

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