4 दिन से बीवी के साथ सोए थे क्या... जब सांसद पप्पू यादव को JE पर आया भयंकर गुुस्सा
punjabkesari.in Sunday, Sep 29, 2024 - 01:40 PM (IST)
नेशनल डेस्क : बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव अपने बयान और कार्यों को लेकर फिर से सुर्खियों में हैं। वे अपने देशी अंदाज के लिए मशहूर हैं और हमेशा अपने संसदीय क्षेत्र की समस्याओं को जानने का प्रयास करते हैं। हाल ही में, वे रूपौली प्रखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे थे। दौरे के दौरान, ग्रामीणों ने पप्पू यादव को बताया कि पिछले चार दिनों से उनके गांव में बिजली नहीं आई है। इस पर सांसद ने तुरंत जेई (जुनियर इंजीनियर) को फोन किया और उन्हें जमकर डांटा।
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सांसद का तगड़ा जवाब
पप्पू यादव ने कहा, "चार दिनों से गांव में बिजली नहीं है। आप ग्रामीणों का फोन क्यों नहीं उठाते?" जब जेई ने बताया कि बिजली आ गई है, तो सांसद ने जवाब दिया, "मेरे कहने पर बिजली चालू हुई है। तुम पिछले चार दिन से कहां थे? क्या तुम अपनी बीवी के पास सोए थे?" उनका यह संवाद सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
बिहार के एक गांव में 4 दिन से बिजली नहीं थी बाढ पीड़ितों से मिलने पहुंचे सांसद @pappuyadavjapl को इस बात की जानकारी हुई तुरंत फोन लगा दिया बिजली विभाग के अधिकारी को उसके बाद क्या था A-1 क्लास चालू हो गया सबके सामने ।#pappuyadav #bajrangbhagat pic.twitter.com/tV7bCniu1P
— Bajrang Kumar (@BajrangBhagat_9) September 26, 2024
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
इस वीडियो पर सोशल मीडिया यूजर्स की मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं।कुछ लोग पप्पू यादव की सक्रियता और ग्रामीणों के प्रति उनके समर्पण की सराहना कर रहे हैं। उनका तात्कालिक प्रतिक्रिया और समस्याओं के समाधान के प्रति जागरूकता को सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है।वहीं, अन्य यूजर्स उनकी भाषा और बातचीत के तरीके पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ को यह महसूस हो रहा है कि सांसद का व्यवहार अप्रिय था।
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राहत सामग्री और समस्याओं का समाधान
पप्पू यादव बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री बांटने और स्थानीय लोगों की समस्याएँ सुनने के लिए गए थे।उनका यह कदम स्पष्ट करता है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेते हैं। बाढ़ जैसी आपदाओं के दौरान, उनकी सक्रियता और स्थानीय लोगों के प्रति संवेदनशीलता उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। पप्पू यादव का प्रयास न केवल राहत सामग्री वितरित करना था, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना था कि स्थानीय लोग अपनी समस्याओं को व्यक्त कर सकें। इससे यह सिद्ध होता है कि वे क्षेत्र के लोगों की भलाई के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।