उपराष्ट्रपति ने किया स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का दीदार, बोले- सही जगह निवेश

punjabkesari.in Sunday, Jan 20, 2019 - 10:06 PM (IST)

नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ भारत के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को पेश करने में बरते गए असंतुलन को सही करने का जरिया है और प्रतिमा पर खर्च की गई राशि ‘अनमोल निवेश’ रहा है। नायडू गुजरात के नर्मदा जिले के केवडिया में सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा देखने गए।
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उपराष्ट्रपति कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में नायडू के हवाले से कहा गया, ‘‘यह स्टैच्यू ऑफ यूनिटी आधुनिक भारत के निर्माण में सरदार पटेल की दूरर्दिशता, साहस, क्षमताओं और योगदान की याद दिलाती है। सही मायने में हमारे देश के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को पेश करने में बरते गए असंतुलन को सही करने का यह जरिया है।’’ प्रतिमा पर खर्च की गयी राशि को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिमा के महत्व को देखते हुए इसके निर्माण के लिए व्यय की गई राशि ‘अनमोल निवेश’ रही है। नायडू ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण की पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की और कहा कि उन्होंने हमेशा महसूस किया था कि पूर्व में सरदार पटेल को उचित मान्यता नहीं दी गई थी।
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‘लौह पुरूष’ के रूप में प्रसिद्ध पटेल देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री थी। पटेल द्वारा देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लिखे गए एक पत्र का संदर्भ देते हुए नायडू ने कहा कि अगर पटेल की बातों को ध्यान में रखा जाता तो 1962 के चीन-भारत युद्ध के बाद स्थिति अलग हो सकती थी। पत्र में चीन की ओर से खतरे के बारे में आगाह किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे एक पड़ोसी ने 1962 में हमारे खिलाफ युद्ध छेड़ा और इसका परिणाम, हम सबको पता है। अगर सरदार की चिंताओं को गंभीरता से लिया जाता तो स्थिति अलग हो सकती थी। सरदार पटेल द्वारा उठाए गए सभी मुद्दे प्रासंगिक बने हुए हैं।’’
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आजादी के बाद रियासतों के एकीकरण के महत्व को रेखांकित करते हुए नायडू ने कहा कि ब्रिटेन से आजादी पाना देश के आधुनिक इतिहास में मील का पत्थर था, लेकिन आजादी के वक्त 565 रियासतों का एकीकरण भी समान रूप से मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि पटेल के ²ष्टिकोण और संकल्प के बिना इन 565 रियासतों में कई आजाद देश के तौर पर होते। अगर ऐसा होता तो भारत का नक्शा आज से अलग होता।
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उपराष्ट्रपति ने कहा कि सभी भारतीयों, विशेष रूप से युवाओं को प्रेरणा और इतिहास को जानने के लिए प्रतिमा का दर्शन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक का यह दायित्व है कि वह देश की एकता को बनाए रखने के लिए भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखे।

 


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Yaspal

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