यह हैं जम्मू कश्मीर के दिग्गज नेता जिनके रिश्तेदारों के बदले में छोड़े गये थे खूंखार आतंकी

punjabkesari.in Monday, Jun 25, 2018 - 04:56 PM (IST)

 श्रीनगर: कश्मीर के नेताओं और विवादों का रिश्ता बहुत पुराना है। नेताओं द्वारा न सिर्फ विवादित बयान दिये जाते रहे हैं बल्कि उनके रिश्तेदारों और बच्चों को छुड़वाने के लिए सरकार ने कई बार खूंखार आतंकियों को भी रिहा किया है। पीडीपी के मुफ्ती मोहम्मद सईद से लेकर कांग्रेस नेता सैफुदीन सोज और गुलाम नबी आजाद भी इनमें शामिल हैं। कश्मीर की आजादी की बातें करने वाले सोज इन दिनों अपनी किताब को लेकर काफी चर्चा में हैं। आपकों बता दें कि 1989 में इन्हीं नेताओं के कारण एक सिलसिला शुरू हुआ था जिसका भारत की आतंरिक सुरक्षा पर काफी प्रभाव पड़ा।
1989, रूबैया सईद का अपहरण
पूर्व मुख्यमंत्री मोहम्मद सईद की बेटी और जम्मू कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बहन रूबैया सईद को आतंकियों ने अगवाह कर लिया था। उनकी रिहाई के बदले में सरकार को पांच आतंकियों को रिहा करना पड़ा था। मुफ्ती उस समय गृहमंत्री थे। रूबैया के बदले में छोड़े गये आतंकी जावेद अहमद जरगर ने ही 1999 में काठमांडू से इंडियन एयरलाइेंस का जहाज हाईजैक किया था और यात्रियों के बदले में भी आतंकियों को छोड़ा गया था। इन्हीं आतंकियों में मौलाना मसूद अजहर शामिल था और उसी ने जैश की नींव रखी थी।

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सोज की बेटी (1991)
सैफुदीन सोज कश्मीर की आजादी की बातें कर इन दिनों में चर्चा में हैं। सोज की बेटी नाहिदा सोज को 1991 में आतंकियों ने अगवा कर लिया। यह आतंकी जेकेएलएफ के थे। उसी जेकेएलएफ  के जिसके चेयरमैन यासीन मलिक हैं। सोज की बेटी के बदले में सरकार ने पाकिस्तान के आतंकी मुश्ताक अहमद को रिहा किया।

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गुलाम नबी आजाद के साले तसदुक देव (1992)
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद भी इससे अछूते नहीं हैं। उनके साले तसदुक देव के बदले में अल उमर मुजाहीदीन के तीन आतंकवादियों को छोड़ा गया था। आजाद उस समय केन्द्र में ससंदीय मामलों में मंत्री थे।


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Monika Jamwal

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