संसद में वंदे मातरम को लेकर होगी 10 घंटे की विशेष चर्चा, पीएम मोदी भी होंगे शामिल

punjabkesari.in Monday, Dec 01, 2025 - 07:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत के राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संसद के शीतकालीन सत्र में इस ऐतिहासिक गीत पर विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी। लोकसभा में यह चर्चा इसी सप्ताह गुरुवार या शुक्रवार को होगी, जिसके लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस विशेष बहस में हिस्सा लेंगे। चर्चा का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम के इस प्रेरक गीत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व को रेखांकित करना है।

इस निर्णय पर सहमति 30 नवंबर को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा बुलाई गई ऑल-पार्टी मीटिंग और लोकसभा व राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठकों में बनी। राज्यसभा में भी एनडीए सदस्यों ने वंदे मातरम पर विशेष चर्चा की जोरदार वकालत की। सरकार ने इसे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताते हुए सभी राजनीतिक दलों को इसमें सहभागी बनने का आग्रह किया है।

‘वंदे मातरम’ का इतिहास
भारत ने 1950 में ‘वंदे मातरम’ को अपने राष्ट्रगीत के रूप में अपनाया था। इसे बंकिम चंद्र चटर्जी ने 1870 के दशक में संस्कृतनिष्ठ बंगाली में लिखा था। यह उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ का हिस्सा है, जिसका प्रकाशन 1882 में किया गया था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ‘वंदे मातरम’ जनमानस में जोश भरने वाला प्रमुख गीत बना। इसके 150 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार ने पिछले दिनों स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे स्वतंत्रता संग्राम की अमर धरोहर बताते हुए युवाओं से इसका अधिकाधिक गान करने की अपील की थी।

संसद में सत्र की तैयारी और राजनीतिक हलचल
लोकसभा BAC की बैठक में कांग्रेस ने विशेष गहन संशोधन (SIR) और चुनावी सुधारों पर बहस की मांग की, पर सरकार ने ‘वंदे मातरम’ की चर्चा को प्राथमिकता दी। तृणमूल कांग्रेस ने भी लोकसभा में इस विशेष चर्चा का समर्थन किया। विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक सोमवार सुबह मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में अपनी रणनीति तय करेगा।

शीतकालीन सत्र का एजेंडा
शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें 15 बैठकें होंगी। इस सत्र में 10 नए विधेयक पेश किए जाएंगे, जिनमें परमाणु ऊर्जा, उच्च शिक्षा, राष्ट्रीय राजमार्ग और बीमा क्षेत्र सुधार से जुड़े बिल शामिल हैं। इसके अलावा, 2025–26 के प्रथम अनुपूरक अनुदान मांगों पर भी विस्तृत चर्चा होगी।


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Content Editor

Shubham Anand

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