Ganga Polluted: 11 साल और 20,000 करोड़ नमामि गंगे परियोजना के बाद भी गंगा मैली, वादे हवा में....
punjabkesari.in Wednesday, Jan 22, 2025 - 11:35 AM (IST)
नेशनल डेस्क: 11 साल और 20,000 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी गंगा की हालत कई इलाकों में बेहद दयनीय बनी हुई है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को अपनी दूसरी मां बताते हुए इसे तीन साल में स्वच्छ करने का वादा किया था। लेकिन आज बी गंगा नदी साफ नहीं हो पाई।
'नमामि गंगे' परियोजना के तहत बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है। कुछ हिस्सों में मामूली सुधार देखा गया है, लेकिन गंगा के अधिकांश क्षेत्रों में अब भी उद्योगों का कचरा, untreated सीवेज और खतरनाक प्रदूषण का स्तर गहराता जा रहा है।
🚨This is not Delhi.
— Kamran (@CitizenKamran) January 21, 2025
Therefore nobody will be held Accountable.
-- This Is Ganga Ma, whom Narendra Modi called his Second mother.
-- He promised to clean it within 3yrs in 2014.
-- 20,000 Crore has been spent, But look at the pathetic situation after 11yrs. pic.twitter.com/pYyEk8MWP9
स्थानीय लोग और पर्यावरण कार्यकर्ता अब यह सवाल उठा रहे हैं कि इस परियोजना पर खर्च हुए पैसे और इसके प्रबंधन के लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही कहां है?
याद दिला दें कि 7 जुलाई 2016 को हरिद्वार में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री उमा भारती और संतों की उपस्थिति में महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना की शुरुआत बड़े वादों के साथ हुई थी। दावा किया गया था कि हरिद्वार में नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), सीवेज पंपिंग स्टेशन और नई सीवेज पाइपलाइन के निर्माण से गंगा को अविरल और निर्मल बनाया जाएगा। लेकिन, आठ साल और हजारों करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद गंगा की हालत जस की तस बनी हुई है।
परियोजना की विफलता और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े प्रयास
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा का पानी अब बिना ट्रीटमेंट पीने योग्य भी नहीं है। परियोजना के कई महत्वपूर्ण कार्य लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण असफल रहे। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने दोषी अधिकारियों की पहचान कर कार्रवाई के लिए राज्य मिशन को जांच रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है।
फर्जी दावे और भ्रष्टाचार
गंगा सफाई अभियान के तहत भ्रष्टाचार के मामलों में फर्जी दावे और अनियमितताएं भी उजागर हुई हैं। बिना उपयोग के ही फेल हो चुकी नहर का वर्चुअली उद्घाटन करवा दिया गया। दैनिक जागरण की रिपोर्ट में यह मामला सामने आने के बाद विभागीय जांच में न केवल भ्रष्टाचार प्रमाणित हुआ, बल्कि दोषी अधिकारियों को चिह्नित भी किया गया।
एसटीपी और सीवेज पंपिंग स्टेशन की विफलता
गंगा की स्वच्छता के लिए हरिद्वार में 120 एमएलडी सीवेज जल शोधन की आवश्यकता थी, लेकिन परियोजना के तहत मौजूद एसटीपी की क्षमता केवल 27 एमएलडी और 18-18 एमएलडी की दो इकाइयों तक सीमित रही। नई एसटीपी और सीवेज पंपिंग स्टेशन बनाने का दावा किया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत इससे दूर है।
जनरेटर सेट खरीद में अनियमितताएं
सीवेज पंपिंग स्टेशन के लिए बड़े-बड़े जनरेटर सेट खरीदे गए, जबकि पहले से मौजूद जनरेटर सेट का कोई हिसाब नहीं है। नए उपकरण तो आ गए, लेकिन पुरानी मशीनरी का क्या हुआ, इसका विभाग के पास कोई जवाब नहीं है।
आगे की कार्रवाई
एनएमसीजी के निदेशक तकनीकी डॉ. प्रवीण कुमार ने 18 नवंबर 2024 को राज्य मिशन को निर्देशित किया कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
गंगा प्रेमियों का आरोप
हरिद्वार निवासी गंगा प्रेमी रामेश्वर गौड़ ने अक्टूबर 2024 में एनएमसीजी को शिकायत भेजकर भ्रष्टाचार के कारण परियोजना की विफलता पर सवाल उठाए। उनका आरोप है कि योजना निर्माण से लेकर कार्यान्वयन तक में बड़े घोटाले किए गए, जिसके चलते नमामि गंगे परियोजना अपने उद्देश्य को पूरा करने में असफल रही।