उत्तर प्रदेशः प्रतापगढ़ जिले में बना ''कोरोना माता'' का मंदिर, लोग करने लगे पूजा-अर्चना
punjabkesari.in Saturday, Jun 12, 2021 - 05:53 PM (IST)

नेशनल डेस्कः उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के शुक्लापुर गांव में लोगों ने नीम के पेड़ के नीचे कोरोना माता का मंदिर बना दिया। शुक्लापुर इलाके के जूही गांव में कोरोना वायरस से तीन लोगों की संदिग्ध मौत हो गई थी। इसके बाद ग्रामीणों में भय व दहशत फैल गई। इस पर गांव के लोकेश श्रीवास्तव ने कोरोना माता का सात जून को मंदिर बनवाने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने मूर्ति आडर्र कर दिया और उसे गांव के एक चबूतरे के पास नीम के पेड़ के बगल स्थापित कर दिया। लोग पूजा अर्चना भी करने लगे थे।
एक ग्रामीण ने कहा, "ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से इस विश्वास के साथ मंदिर की स्थापना करने का फैसला किया कि देवता की पूजा करने से लोगों को निश्चित रूप से कोरोना वायरस से राहत मिलेगी, जिसने कई लोगों की जान ले ली है।" ग्रामीण ने कहा शुक्लापुर और आसपास के क्षेत्रों में लोगों की सुरक्षा चाहते हैं, तो ग्रामीण कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखते हैं। लोग मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं।
ग्रामीण ने बताया कि जहां मंदिर बनाया गया है, वहां एक नोटिस चस्पा किया गया है, जिस पर लिखा गया है, “'मास्क का प्रयोग करें, हाथ धोएं और दूरी बनाए रखें। प्रसाद के रूप में केवल पीले रंग के फूल, फल, मिठाई और अन्य की अनुमति है। मूर्ति के मुंह पर मास्क भी लगाया गया है।
बता दें कि देश में पहला ऐसा मंदिर नहीं है, जिसके देवता का नाम बीमारी के नाम पर रखा गया है। इससे पहले भी ऐसा होता रहा है। महामारी या प्राकृतिक आपदाओं के समय, जैसे चिकन पॉक्स, प्लेग या हैजा देवी की पूजा इस विश्वास के साथ की जाती थी कि वे ग्रामीणों की रक्षा करेंगे और बीमारी को दूर करेंगे। पिछले महीने तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक मंदिर ने लोगों को घातक कोविड -19 वायरस से बचाने के लिए एक 'कोरोना देवी' की मूर्ति का अभिषेक किया।
कामचीपुरी अधिनाम मंदिर के पुजारी ने कहा कि कई वर्षों से लोगों को घातक बीमारियों से बचाने के लिए देवताओं की पूजा की जाती रही है। उल्लेखनीय है कि 1900 के दशक की शुरुआत में जब कोयंबटूर जिला प्लेग की चपेट में आया था, तब राहत की मांग करने वाले इसके निवासियों ने कथित तौर पर प्लेग मरियम्मन मंदिर में पूजा की थी।