यूएस खुफिया रिपोर्ट में पाकिस्तान को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, भारत नहीं अकेली चुनौती
punjabkesari.in Sunday, May 25, 2025 - 03:49 PM (IST)

नेशनल डेस्क: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत के जवाबी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में तीव्र तनाव देखा गया है। ऐसे समय में अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान को लेकर एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है, जो आने वाले वर्ष में उसकी सुरक्षा और रणनीतिक चुनौतियों को उजागर करती है।
पाकिस्तान के सामने तीन प्रमुख खतरे
रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान को केवल भारत से ही नहीं, बल्कि दो अन्य आंतरिक संकटों का भी सामना करना पड़ रहा है — बलूच विद्रोह और तालिबानी प्रभाव। बलूच आंदोलन: लंबे समय से पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववाद की आवाजें उठती रही हैं। अब यह आंदोलन और अधिक आक्रामक होता जा रहा है, जिससे पाकिस्तानी सेना को जान-माल की हानि उठानी पड़ रही है। तालिबान से चुनौती: अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती गतिविधियां पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा को अस्थिर कर रही हैं। आतंकवादी गतिविधियों में तेजी ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है।
सिंध में भी अलगाव की लहर
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान का सिंध क्षेत्र भी धीरे-धीरे अलगाववादी भावना से प्रभावित हो रहा है। यहां के लोग राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों की मांग को लेकर संगठित हो रहे हैं, जिससे अंदरूनी स्थिरता को खतरा है।
भारत-पाक रिश्तों पर रिपोर्ट का विश्लेषण
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान भारत को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है और इसी कारण वह अपने परमाणु कार्यक्रम को और अत्याधुनिक बनाने में लगा हुआ है। इस प्रक्रिया में चीन उसकी खुलकर मदद कर रहा है — सैन्य उपकरणों से लेकर तकनीकी सहायता तक।
भारत की रणनीति: पाकिस्तान को सीमित रखना, असली ध्यान चीन पर
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि भारत अब पाकिस्तान को अपनी बड़ी चिंता नहीं मानता। उसकी सुरक्षा नीति का मुख्य फोकस चीन है, जिसे वह दीर्घकालिक और वास्तविक रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानता है। पाकिस्तान के साथ संबंधों को भारत सिर्फ "मैनेज" कर रहा है — वह उनसे टकराव नहीं, बल्कि नियंत्रण चाहता है।
अफगानिस्तान के साथ भारत की नई साझेदारी
भारत अब अफगानिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है — चाहे वह आतंकवाद से मुकाबला हो या मानवीय सहायता व आर्थिक विकास। तालिबान से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंधों के जरिए भारत अफगानिस्तान में अपना प्रभाव मजबूत करना चाहता है, जिससे पाकिस्तान की सीमित कूटनीतिक पकड़ और कमजोर हो।
दक्षिण एशिया में चीन की सैन्य चालें
यूएस रिपोर्ट के अनुसार, चीन न केवल पाकिस्तान को समर्थन दे रहा है, बल्कि वह बर्मा, पाकिस्तान और श्रीलंका में स्थायी सैन्य ठिकाने बनाने की योजना पर काम कर रहा है। यह उसकी दक्षिण एशिया में सैन्य उपस्थिति बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तान अब केवल भारत से ही नहीं, बल्कि अपने आंतरिक विद्रोहों और पड़ोसी प्रभावों से भी जूझ रहा है।