ट्रंप के नए फैसले से टेक कंपनियों में हड़कंप, सबसे ज्यादा भारतीयों पर पड़ेगा भारी
punjabkesari.in Saturday, Sep 20, 2025 - 11:19 AM (IST)

Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आईटी पेशेवरों और कामगारों को करारा झटका दिया है। ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करते हुए एच-1बी वीज़ा शुल्क को वार्षिक 100,000 अमेरिकी डॉलर * तक बढ़ाने का ऐलान कर दिया। यह कदम अमेरिका में काम कर रहे लाखों भारतीय कर्मचारियों पर सीधा असर डाल सकता है, क्योंकि एच-1बी वीज़ा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारतीय पेशेवर ही करते हैं। व्हाइट हाउस स्टाफ सचिव विल शार्फ ने कहा कि H-1B वीज़ा का “सबसे ज्यादा दुरुपयोग” हो रहा है। उनका दावा है कि यह प्रोग्राम ऐसे विदेशी कामगारों को अमेरिका लाता है जो उन सेक्टरों में काम करते हैं जहां अमेरिकी काम नहीं करते। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारी शुल्क लगाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल “वास्तव में असाधारण” और “बेहद कुशल” लोग ही अमेरिका आएं और अमेरिकी कामगारों की नौकरियों की सुरक्षा बनी रहे।
भारतीयों पर भारी असर
H-1B वीज़ा का सबसे बड़ा लाभार्थी भारत है। आईटी और टेक सेक्टर में बड़ी संख्या में भारतीय पेशेवर इसी वीज़ा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं। तीन साल के लिए मिलने वाले इन वीज़ा को अगले तीन साल तक नवीनीकृत किया जा सकता है लेकिन अब भारी शुल्क के कारण भारतीय कंपनियों और कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से भारतीय टैलेंट की अमेरिका तक पहुंच सीमित हो सकती है।
ग्रीन कार्ड और वेतन पर बयान
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड प्रोग्राम के तहत हर साल लगभग 2.8 लाख लोग अमेरिका आते हैं, जिनकी औसत सालाना आय 66,000 डॉलर होती है। उनका आरोप है कि इनमें से कई “निचले स्तर” के कर्मचारी हैं जो सरकारी सहायता कार्यक्रमों पर बोझ बढ़ाते हैं।लुटनिक ने कहा कि अब अमेरिका सिर्फ “शीर्ष और असाधारण” लोगों को ही चुनेगा और यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए 100 अरब डॉलर से ज्यादा राजस्व जुटाएगा।
ट्रंप का दावा
ओवल ऑफिस में दस्तखत करते हुए ट्रंप ने कहा-"हमें बेहतरीन कामगारों की जरूरत है। यह फैसला सुनिश्चित करेगा कि अमेरिका में सिर्फ सबसे योग्य लोग आएं।" ट्रंप ने यह भी कहा कि वीज़ा से होने वाली आमदनी का इस्तेमाल करों में कटौती और कर्ज चुकाने में किया जाएगा। ट्रंप के इस फैसले ने भारतीय पेशेवरों और आईटी कंपनियों की चिंता बढ़ा दी है।