digital satellite maps: अब खत्म होंगे जमीन के झगड़े- शुरू होने जा रहा है ऐसा सिस्टम, जो विवाद की जड़ ही खत्म कर देगा
punjabkesari.in Saturday, Nov 22, 2025 - 04:09 PM (IST)
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जमीन से जुड़े झगड़े अब बीते ज़माने की बात हो सकते हैं। प्रदेश सरकार एक ऐसी डिजिटल व्यवस्था लाने की तैयारी में है, जो खेत–खलिहान से लेकर घर–आंगन तक, हर इंच जमीन का सटीक और निर्विवाद रिकॉर्ड जनता के हाथ में दे देगी। और खास बात- अगले ही तीन से चार महीनों में यह ऐतिहासिक सुविधा आम लोगों को उपलब्ध होगी।
सैटेलाइट मैप होगा अंतिम सबूत-कागजी नक्शों का दौर खत्म
राजस्व परिषद ने स्पष्ट किया है कि जल्द ही पुराने हाथ से बने नक्शों की जगह हाई-रेज़ोल्यूशन सैटेलाइट मैप को कानूनी आधार दिया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि
—दो गांवों की सीमाओं पर विवाद,
—भाइयों में ज़मीन बंटवारे की तकरार,
—या पड़ोसी की ओर से दावा
इन सबकी जड़ ही खत्म हो जाएगी, क्योंकि असली प्रमाण सीधे अंतरिक्ष से लिया गया डेटा होगा।
हर घर, कुआं, पेड़-सब होगा डिजिटल रिकॉर्ड में दर्ज
डिजिटल मैपिंग में गांव का कोई भी हिस्सा छूटने नहीं वाला।
- हर मकान
- हर पेड़
- हर कुआं
- हर रास्ता
- हर खसरा नंबर
सब कुछ एक ही प्लेटफॉर्म पर टैग कर दिया गया है। यह रिकॉर्ड इतना स्पष्ट होगा कि कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन को लेकर किसी भी तरह की गलत जानकारी नहीं दे सकेगा।
पूरा उत्तर प्रदेश बन रहा है डिजिटल लैंड मॉडल
देश भर में इस तरह का सबसे बड़ा अभियान यूपी में चल रहा है। कर्नाटक ने इसे सीमित स्तर पर लागू किया था, लेकिन उत्तर प्रदेश इसे 1.07 लाख राजस्व गाँवों और 57 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में पूरी तरह लागू कर रहा है। यह प्रोजेक्ट ग्रामीण भारत के लिए डिजिटल प्रशासन का नया मापदंड बन सकता है।
किसानों के लिए बड़ी राहत—बैंक लोन से लेकर खरीद-फरोख्त तक में फायदा
यह डिजिटल व्यवस्था ग्रामीणों के जीवन में सीधा बदलाव लाएगी--
• बैंक से जमीन के आधार पर लोन लेना आसान
• ज़मीन खरीदने–बेचने में पारदर्शिता
• सरकारी योजनाओं के लिए तुरंत जमीन का प्रमाण
• बंटवारे और रिश्तेदारी के विवादों में भारी कमी
• कोर्ट–कचहरी के चक्कर लगभग खत्म
ज़मीन संबंधी हर काम में समय, पैसा और तनाव—तीनों कम होंगे।
डिजिटल इंडिया का नया ग्रामीण मॉडल-हर नागरिक की जेब में उसकी जमीन का पूरा इतिहास
राजस्व विभाग के अधिकारी इसे एक तरह से भू-अभिलेखों की दूसरी आज़ादी मान रहे हैं। आने वाले समय में उत्तर प्रदेश का कोई भी नागरिक अपने मोबाइल पर अपनी जमीन का पूरा इतिहास, सीमा, आकार और स्थिति कुछ ही सेकंड में देख सकेगा।
